व्हीकल प्रोडक्शन में लोकप्रिय और महारत हासिल करने वाली अमेरिका की फोर्ड (Ford) कंपनी अब भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेट रही है। भारतीय बाजार में उसे जो भारी नुकसान उठाना पड़ा है उसी के चलते अब भारत से कंपनी पैकअप कर रही है। व्हीकल्स के मामले में भारत दुनिया का वैश्विक बाजार जाता है। लेकिन एक के बाद बाद एक व्हीकल कंपनी भारत से अपने पैर पीछे हटा रही हैं।
Ford ने भारत में अपने दोनों मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में उत्पादन बंद करने का बड़ा निर्णय लिया है। साथ ही लम्बे समय स Ford द्वारा भारतीय बाजार में कोई भी नया मॉडल नहीं उतारा गया है। बता दें कि जिस समय भारत पर अंग्रेजों का राज था उसी दौरान Ford भारत में आई और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी रहीं। लेकिन अब जब घाटा बढ़ने लगा है तो फोर्ड भारत से वापसी का मन बना चुकी है।
गौरतलब है कि Ford इंडिया की सालाना उत्पादन क्षमता 6,10,000 इंजन और 4,40,000 वाहनों की है। कंपनी ने फिगो, एस्पायर और इकोस्पोर्ट जैसे अपने मॉडलों को दुनिया भर के 70 से अधिक बाजारों में निर्यात किया है। फोर्ड इंडिया ने अपने स्टाफ को जानकारी दी है कि वह भारत में कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बंद कर रही है। फोर्ड इंडिया के इस फैसले से 4000 से अधिक स्टाफ की जॉब चली जाएगी। हालांकि, कंपनी के एमडी अनुराग मेहरोत्रा ने कहा है, “हम अपने ग्राहकों और पुनर्गठन से प्रभावित लोगों के लिए कर्मचारियों, यूनियनों, डीलरों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ”
सूत्रों ने यह भी बताया कि फैक्ट्री को बंद होने में करीब एक साल का समय लगेगा। जनरल मोटर्स और हार्ले डेविडसन के बाद फोर्ड भारत में उत्पादन बंद करने वाली तीसरी अमेरिकी कंपनी है।
Ford कंपनी के साणंद और मराईमलाई में कारखाने हैं। इस बीच खबर आई है कि कंपनी देश में फैक्ट्रियां बंद होने के बाद भी आयात के जरिए देश में वाहनों की बिक्री जारी रखेगी। इससे डीलरों को ग्राहकों की सेवा करने में मदद मिलेगी। पिछले 10 सालों में कंपनी को 2 अरब का नुकसान हुआ है।
पिछले अगस्त में कंपनी ने देश भर में कुल 1,508 वाहन बेचे। पिछले साल अगस्त में इसकी 4,731 यूनिट्स की बिक्री हुई थी। नतीजतन, पिछले साल की तुलना में इस साल बिक्री में 68.1 फीसदी की गिरावट आई है। पैसेंजर कार सेगमेंट में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में भी 0.6 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले साल अगस्त में यह 2 फीसदी थी। फोर्ड वर्तमान में भारतीय बाजार में फोगो हैचबैक और एस्पायर सेडान सहित एसयूवी सेगमेंट में इकोस्पोर्ट, एंडेवर और फ्रीस्टाइल मॉडल बेच रही है। भारतीय बाजार में एंडेवर की काफी डिमांड है। पिछले महीने कंपनी ने 928 एंडेवर वाहन बेचे थे। फोर्ड फिगो की मांग में गिरावट आई है। पिछले महीने सिर्फ 7 वाहनों की बिक्री हुई थी।
केवल अमेरिकी कंपनियां ही क्यों विफल होती हैं?
1991 में भारत में शुरू हुए उदारीकरण के बाद फोर्ड सबसे प्रमुख कंपनियों में से एक थी। उस समय भारतीय कार बाजार में एंबेसडर, फिएट और मारुति का एकाधिकार था। ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि भारत का उभरता बाजार कंपनी के लिए बड़ा कारोबार लाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यह भारतीय कंपनी मारुति और कोरियाई कंपनी हुंडई को पीछे छोड़ गई है। कंपनी के पास वर्तमान में भारतीय बाजार में 2 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है और 2020-21 में केवल 41,875 कारें ही बेच पाई थी। वही अगर जुलाई 2021 के आंकड़ों को देखा जाए तो मारुति ने इस महीने 1,33,732 कारों की बिक्री की है और हुंडई ने इस दौरान 48072 कारों की बिक्री की है। जबकि फोर्ड ने 3139 कारें बेची हैं।
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार मार्केट है। दूसरा प्लस पॉइंट ये भी है कि अमेरिका की दिग्गज ऑटो कंपनियां भी यहां हैं। लेकिन इसके बावजूद भी भारत में लगातार अमेरिकी ऑटो कंपनियां फेल हो होती जा रही हैं। सबसे पहले साल 2007 में जनरल मोटर्स ने भारत से अपना कारोबार समेट लिया। उसके बाद साल 2019 में यूएम मोटरसाइकिल, फिर बाइक की दिग्गज की कंपनी हार्ले डेविडसन ने भी अपना कारोबार बंद कर दिया। अब फोर्ड ने भी 9 सितंबर 2021 को भारत से अपने कारोबार को बंद कर दिया है।