भारतीय रिज़र्व बैंक ने 19 मई को २ हजार के नोटों को चलन से हटाने का आदेश देते 30 सितम्बर तक 2000 के नोटों को बैंक में जमा करने व बैंक से बदलवाने की सलाह दी है। साथ ही यह आदेश भी दिया गया है की आप अंतिम तारीख तक 2000 के नोटों से खरीदारी भी कर सकते हैं और अगर कोई दुकानदार पैसे लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराइ जा सकती है। ऐसे में कई बड़े उद्योगपतियों व नेताओं आदि के लिए यह एक झटका देने वाला फैसला है।
हालांकि दुकान वाले २ हजार का नोट लेने से मना सकते लेकिन इससे बच रहें हैं। इसी बीच दिल्ली के एक दुकानदार ने सरकार के इस फैसले का बड़ी ही अक्लमंदी से फायदा उठाया है। दुकानदार अपनी बिक्री बढ़ाने का ऐसा तरीका निकाला कि सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। उसने अपनी दुकान के बाहर एक बड़ा सा पोस्टर लगाया है। जिस पर दो हजार के नोट की तस्वीर के साथ हिंदी व अंग्रेजी भाषा में लिखा है कि 2 हजार का नोट दीजिए और 2100 रुपये का सामान पाइए। सरदार प्योर मीट शॉप, जीटीबी नगर।
इस तस्वीर पर अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ के राष्ट्रीय सचिव एवं संयोजक यूथ विंग ‘सुमित अग्रवाल’ (@sumitagarwal_IN) ने 22 मई को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा था – अगर आपको लगता है कि आरबीआई स्मार्ट है तो एक बार फिर सोच लीजिए क्योंकि दिल्लीवाले बहुत ही तेज हैं। अपनी बिक्री बढ़ाने का कितना इनोवेटिव तरीका है!
If you think RBI is smart, think again cos Delhites are much smarter.
What an innovative way to increase your sales! 😅#2000Note pic.twitter.com/ALb2FNDJi0
— Sumit Agarwal 🇮🇳 (@sumitagarwal_IN) May 22, 2023
नोटों को क्यों किया गया चलन से बाहर
2 हजार के नोटों को चलन से हटाने के पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार ने यह बताया कि जिस उद्देश्य से 2 हजार के नोट जारी किये गए थे वह अब पूरा हो गया है। साल 2016 में देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकार 1000 और 500 रुपये के नोटों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। जिसे नोटीबंदी कहा गया। इन नोटों की वैधता को हटा देने से देश में एकदम से देश की अर्थव्यवस्था में मुद्रा की कमी आई। इस आवश्यकता को जल्द पूरा करने के लिए आरबीआई ने 2 हजार के नोट जारी करने का निर्णय लिया था। अब पर्याप्त मात्रा में अन्य मूल्यवर्ग के नोटों के उपलब्ध हो जाने से 2 हजार रुपये के नोट जारी करने का उद्देश्य पूरा हो चुका है। जिसे देखते हुए आरबीआई ने साल 2018-19 से ही 2 हजार के नोटों को छापना बंद कर दिया गया था । 31 मार्च 2017 से पहले 2 हजार रुपये के लगभग 89 फीसदी नोट संचलन में थे और ये अपनी अनुमानित आयु सीमा, जो कि 4 से 5 साल है, के अंत में हैं। 31 मार्च 2018 तक इन नोटों की अधिकतम मात्रा 6.73 लाख करोड़ रुपये (संचलन में नोटों का 37.3 प्रतिशत) थी, जो 31 मार्च 2023 को घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये (संचलन में नोटों का 10.8 प्रतिशत) पहुँच गयी है। यह भी देखा गया है कि 2 हजार के नोट लेन-देन के लिए आमतौर पर उपयोग में नहीं लिए जा रहे हैं। इसके अलावा, मुद्रा की आवश्यकता पूर्ति के लिए अन्य मूल्यवर्ग के नोटों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 2000 रुपये की अतिरिक्त नोटें जो ना तो बैंक के पास है और न ही चलन में है वो ब्लैक मनी के रूप में रखा जा रहा है। हालांकि 2 हजार रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का अर्थव्यवस्था पर ‘बहुत सीमित’ प्रभाव ही पड़ेगा क्योंकि ये नोट चलन में मौजूद कुल मुद्रा का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही हैं।