देश की राजनीति हो या कोई अन्य विषय ,हमेशा सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं।लेकिन इस बार की वजह है उनका राजनीति से संन्यास लेने का संकेत देना। दरअसल ,एक कार्यक्रम में आजाद ने जो कहा, उससे राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि गुलाम नबी राजनीति से आजाद हो सकते हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में गुलाम कांग्रेस के जी-23 नेताओं की बैठक के दौरान भी काफी चर्चा में रहे हैं। उन्हें कांग्रेस के बागी नेताओं का सरदार तक बताया गया था। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को पिछले दिनों पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। उन्हें यह सम्मान आज यानी 21 मार्च को राष्ट्रपति भवन में दिया जाएगा।
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इस उपलब्धि पर गुलाम नबी आजाद को सम्मानित करने के लिए कल 20 मार्च को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और वरिष्ठ वकील एमके भारद्वाज की तरफ से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान आजाद ने कहा, ‘हमको समाज में बदलाव लाना है। कभी-कभी मैं सोचता हूं, और कोई बड़ी बात नहीं है कि अचानक आप सुनें कि मैं रिटायर हो गया हूं और समाजसेवा में लग गया हूं ‘ लेकिन उन्होंने यह पहले ही बता दिया था कि राजनीति पर नहीं बोलेंगे। उन्होंने कहा कि, ‘भारत में राजनीति इतनी खराब हो गई है कि कई बार शक होता है कि क्या हम इंसान हैं।
गुलाम नबी का राजनीतिक सफर
गुलाम नबी आजाद वर्ष 1973 में कांग्रेस के सदस्य के तौर सक्रिय राजनीति में आए। वर्ष 1973-1975 में वह ब्लेस्सा कांग्रेस समिति के ब्लॉक सचिव रहे। वर्ष 1975 में वह जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और फिर 1977 में डोडा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद जल्द ही वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव भी बन गए। वर्ष 1982 में गुलाम नबी आजाद ने पहले केन्द्रीय उपमंत्री के तौर पर कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्रालय संभाला। वर्ष 1985 में गुलाम नबी आजाद गृह राज्य मंत्री बने। पी.वी. नरसिंह राव सरकार में गुलाम नबी आजाद ने संसदीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री और बाद में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री का पद भी संभाला। वह मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे और 2007 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री चुने गए थे। इसके बाद आजाद 2015 में जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उनका कार्यकाल 15 फरवरी 2021 को समाप्त हो गया है।