गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा ने जनता के एक बड़े तबके में किसानों के प्रति सहानुभूति खत्म कर दी थी। किसान नेताओं और हिंसा के जिम्मेदार अन्य लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठने लगी थी। इसी बीच 4 किसान संगठनों ने हिंसा के बाद अपना आंदोलन वापस ले लिया। माना जा रहा था कि पुलिस कार्रवाई के जरिए दिल्ली की सीमाओं टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसानों को जल्द ही हटाया जा सकता है। लेकिन इसके बाद रातोरात परिस्थितियां विपरीत हो उठी जब किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया के समक्ष भावुक हो गए। देश के अधिकतर किसानो ने जब टिकैत को टीवी पर रोते हुए देखा तो उनका जनसैलाब गाजीपुर बॉर्डर की तरफ उमड़ पड़ा।
इस तरह पहले जहा किसानो का केंद्र सिंधु बॉर्डर था वह गाजीपुर बॉर्डर में तब्दील होने लगा। पहले यह भीड़ सिंधु बॉर्डर पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खटटर की बैचेनी बढ़ा रही थी। लेकिन अब जब यह भीड़ गाजीपुर बॉर्डर पर जमावड़ा लगाए है तो स्वाभाविक है कि इससे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परेशानी का कारण बन सकता है। यहां यह भी बताना जरुरी है कि गाजीपुर बॉर्डर पर ज्यादातर किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के है। जो कही न कही मुख्यमंत्री योगी की राजनीति को प्रभावित कर सकते है। इसके चलते ही मुख्यमंत्री योगी की बैचेनी बढ़ने का कारण बताया जा रहा है।
गाजीपुर बॉर्डर पर 27 जनवरी की रात भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को गिरफ्तार करने की पूरी प्लानिंग कर ली गई थी। यहां तक की बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। एडीएम और एसपी गाजियाबाद भी वहां पहुंच चुके थे। लेकिन अचानक ही राकेश टिकैत भावुक हो उठे और वह मीडिया के सामने रोने लगे। इसके बाद पासा पलट गया । मुख्यमंत्री योगी ने इस मामले पर यूटर्न लेने में ही भलाई समझी। देखते ही देखते राकेश टिकैत के पक्ष में सहानुभूति का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अब लोग देश के कोने कोने से गाजीपुर बॉर्डर की ओर रुख करते दिख रहे हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने पुलिस बल को गाजीपुर बॉर्डर से हटा लिया।
26 जनवरी से पहले किसान आंदोलन का केंद्र सिंघु बॉर्डर था, आंदोलन के लेकर तमाम रणनीति यहीं बनाई जाती थी, लेकिन हिंसा के बाद वहां के हालात बदल गए हैं। स्थानीय लोग भी किसानों से जगह खाली करने की मांग कर रहे हैं। आज इसे लेकर सिंघु बॉर्डर पर काफी बवाल भी हुआ। हालांकि ताजा घटनाक्रमों के बाद अब आंदोलन का नया केंद्र गाजीपुर बॉर्डर बनता दिख रहा है।