[gtranslate]
Country

गठबन्धन की दाल में कांग्रेस का तड़का

गठबन्धन (सपा-बसपा) की दाल में कांग्रेस का तड़का कैसे लगे, इसे लेकर सभी चिंतित हैं लेकिन यूपी में अपनी स्थिति का अहसास करा चुकी कांग्रेस अब गठबन्धन के आगे घास डालने के लिए तैयार नजर नहीं आ रही। कांग्रेस ने समस्त 80 लोकसभा सीटों पर अपने कोआर्डिनेटर तैनात कर स्पष्ट संकेत दे दिया है।
पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक को लेकर भले ही सियासी दलों से अधिक खबरिया चैनलों में संग्राम छिड़ा हो लेकिन एयर स्ट्राइक के बाद यूपी की राजनीति में हालात बदल चुके हैं। अहसास भाजपा के खिलाफ बने सूबे गठबन्धन को भी है। गठबन्धन नेताओं को लगने लगा है कि यदि समय रहते रणनीति में बदलाव नहीं किया गया तो निश्चित तौर पर यह गठबन्धन भाजपा को यूपी में एक बार फिर से बाजी मारने से नहीं रोक पायेगा। यही वजह है कि सपा-बसपा द्वारा गठबन्धन करते समय कांग्रेस के लिए दान स्वरूप छोड़ी गयी दो सीटें अब उसे अपर्याप्त लगने लगी है। गठबन्धन की तरफ से कांग्रेस को अब दर्जन भी सीटें देने का फैसला लिया गया है। गठबन्धन का यह संदेश कांग्रेस हाईकमान के पास भी भेजा जा चुका है। यूपी कांग्रेस अब दर्जन भर सीटों के लिए सुनहरा मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती। इसके कई कारण मौजूद हैं। प्रथम तो यह कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के रोड शो के बाद यूपी में कांग्रेस की रैंकिंग हाई चल रही है। भाजपा और अन्य दलों के कुछ सांसदों, विधायकों, पदाधिकारियों सहित कार्यकर्ताओं का कांग्रेस की तरफ झुकाव स्पष्ट संकेत है कि खासतौर से यूपी में कांग्रेस का पलड़ा भारी हो चला है। अनुमान के साथ कहा जा सकता है कि कांग्रेस के लगभग दो से ढाई दशक के उपरांत ऐसा देखने में आया है कि सत्ताधारी दल के किसी सांसद ने ऐन चुनावी तैयारियों के दौरान कांग्रेस में आस्था जतायी हो और भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुआ हो। यहां बात बहराइच से भाजपा सांसद सावित्रीबाई फूले की हो रही है। खैर यह उदाहरण तो मात्र यूपी में कांग्रेस की हैसियत को बताने मात्र के लिए दिया गया है जबकि सच्चाई यह है कि प्रियंका गांधी के आगमन के बाद से यूपी कांग्रेसियों के हौसले बुलन्द हैं। स्थिति यह है कि यूपी कांग्रेस के अधिकतर नए और पुराने नेता यूपी की समस्त 80 सीटों पर हाथ आजमाने के लिए कमर कसकर तैयार हैं। जाहिर है कांग्रेसियों के जोश के बाद इस बार का लोकसभा चुनाव बेहद रोचक होने की उम्मीद है।
यूपी कांग्रेसियों के बुलन्द हौसलों और पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद गठबन्धन को इस बात का अहसास हो चला है कि यदि उसने कांग्रेस को अपने साथ न मिलाया तो निश्चित तौर पर वोट बंटने का फायदा भाजपा को मिल जायेगा। यही वजह है कि गठबन्धन ने कांग्रेस के पाले में दर्जन सीटों का गुच्छा फेंका है लेकिन कांग्रेस ने उसे कैच करने से पहले ही बैरंग लौटा दिया। संदेश भेजा गया है कि इतनी सीटें नाकाफी हैं।
कांग्रेस के इस पलटवार से जहां एक ओर सपा-गठबन्धन ने एक बार फिर से कांग्रेस को गठबन्धन में शामिल करने की गरज से विचार-विमर्श शुरु कर दिया है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर कोआर्डिनेटर तैनात करके अपनी ख्वाहिश जाहिर कर दी है। कोआर्डिनेटर के पद पर खासतौर से युवाओं को तरजीह दी गयी है। इन कोआर्डिनेटरों को मैदान में उतारने से पहले पूरी तरह से हाईटेक किया जा चुका है। सभी को आईटी सेल के तौर तरीके सिखाने के साथ ही चुनावी प्रबन्धन की भरपूर तबीयत दी गयी है। इन कोआर्डिनेटरों की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में समस्त दलों की राजनीतिक गतिविधियों का पूरा ब्यौरा रखें और अपने वरिष्ठों से सलाह मशविरा के उपरांत हाई कमान तक जानकारी पहुंचाएं। गौरतलब है कि यूपी कांग्रेस इस तरह का प्रयोग पहली बार समस्त 80 सीटों के लिए कर रही है। इससे पूर्व अमेठी और रायबरेली तक ही कोआर्डिनेटरों की नियुक्ति की जाती रही है। स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बार किसी गठबन्धन में शामिल होने के बजाए अकेले दम पर लोकसभा चुनाव में हाथ आजमायेगी। खास बात यह है कि समस्त कोआर्डिनेटर प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के सीधे सम्पर्क में रहेंगे।
ये कोआर्डिनेटर मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों के सम्बन्ध में अपनी राय भी दे सकेंगे। इतना ही नहीं ये कोआर्डिनेटर उन कांग्रेसियों पर भी नजर रखेंगे जो पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होंगे। ऐसे कांग्रेसियों को कोआर्डिनेटर के निर्देश पर बाहर का रास्ता दिखाने में कोताही नहीं बरती जायेगी। ऐसे कांग्रसियों को भी चिन्हित किए जाने का काम ये कोआर्डिनेटर करंगे जो अपने-अपने क्षेत्र में रहकर पार्टी हित में काम करने के बजाए दिल्ली में बैठे बडे़ नेताओं के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे होंगे। यानी अभी तक की तस्वीर तो यही बता रही है कि कांग्रेस इस बार किसी गठबन्धन में शामिल होने के बजाए अकेले दम पर यूपी की समस्त 80 सीटों पर ताल ठोंकेगी।
फिलहाल तस्वीर एक सप्ताह के भीतर पूरी तरह से साफ हो जायेगी जब प्रियंका गांधी का लखनऊ दौरा होगा। बताते चलें कि प्रियंका गांधी अगले सप्ताह तक लखनऊ आयंेगी, तभी सपा-बसपा गठबन्धन नेताओं के साथ उनकी एक मीटिंग भी फिक्स बतायी जा रही है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD