नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने के लिए प्रयासरत रही कांग्रेस को विपक्षी दलों के बनते गठबंधन ही असहज कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए दिक्कत यह है कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने उसे गठबंधन में साथ लेना जरूरी नहीं समझा तो बिहार में जिस आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के साथ मिलकर उसके चुनाव लड़ने की संभावनाएं हैं, वह भी सपा-बसपा गठबंधन के समर्थन में खड़ा दिखाई दे रहा है।
लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में जिस तरह राजनीतिक गठबंधनों के बनने -बिगड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है, उसे देखते हुए निश्चित है कि 2019 का असली महासंग्राम यूपी में ही होगा। राज्य में जो कल तक एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे वे आज एक साथ हैं और जो एक साथ थे वे अलग हो रहे हैं। सब अपने-अपने सियासी समीकरणों को देखते हुए गठबंधन कर रहे हैं। इस बीच सपा-बसपा गठबंधन को अब राष्ट्रीय जनता दल (आआरजेडी) का समर्थन मिलने की प्रबल संभावना है। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव की बसपा प्रमुख मायावती से हुई मुलाकात को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। मुलाकात के बाद मायावती ने कहा कि लालू यादव के खिलाफ द्वेष भावना से कार्रवाई की गई। देश से सांप्रदायिक ताकतों को खत्म करने के लिए धर्मनिरपेक्ष दलों को एक होना होगा। उन्होंने कहा कि लालू यादव के परिवार का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही बिहार में गठबंधन के सवाल पर कहा कि इसके बारे में आगे सोचा जाएगा। राजद नेता तेजस्वी ने भी मायावती को आदर्श बताते हुए कहा कि सपा-बसपा के गठबंधन से देश को नई राह मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने जिस महागठबंधन की कल्पना की थी, वह उप्र में अब साकार हो गया है। खास बात यह है कि मायावती के बाद तेजस्वी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात की। आम चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश और बिहार को महत्वपूर्ण राज्यों में गिना जाता है, ऐसे में दोनों प्रदेशों के मुख्य विपक्षी नेताओं का मिलना एक नए गठबंधन की संभावनाओं को जन्म दे रहा है। सपा-बसपा के इस गठबंधन में राजद भी शामिल हो सकती है। इसके बाद बसपा भी बिहार में 1-2 सीटें लड़ सकती है। हालांकि गठबंधन के नेताओं का लक्ष्य भाजपा को हराना है, लेकिन उत्तर प्रदेश में उसे कांग्रेस पर भी निशाना साधना होगा। यहां तक कि गठबंधन में होने के कारण तेजस्वी यादव भी यूपी में कांग्रेस के खिलाफ ही बोलेंगे। कांग्रेस भी गठबंधन के खिलाफ बोलेगी। ऐसे में कांग्रेस के सम्मुख दुविधा रहेगी कि वह गठबंधन में शामिल तेजस्वी यादव के साथ बिहार में कैसे चुनाव लड़े।
गठबंधन के लिए प्रयासरत रही कांग्रेस की दिक्कत बढ़ाते गठबंधन
