राजस्थान में कल से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के लिए कांग्रेस-भाजपा दोनों ओर से सरकार बचाने और गिराने के लिए जोर आजमाइश चल रही है। दोनों पार्टियांे की ओर से अपने-अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए बैठकें चल रही हैं। उन्हें मनाने की कोशिशें हो रही हैं। दोनों पार्टियों का केंद्रीय नेतृत्व राज्य की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है।
दरअसल, सत्र के दौरान भाजपा अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। पार्टी के रणनीतिकारों को अब भी लगता है कि गहलोत सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है। आज राज्य में विधायकों की बैठक हुई तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की उपस्थिति काफी महतवपूर्ण मानी जा रही है। पार्टी ने संदेश दिया है कि राज्य में भाजपा एकजुट है। वसुंधरा राजे ने भी कहा कि राज्य में पार्टी एकजुट है।
दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपने विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश में है। कहीं कोई चूक न हो जाए इसलिए आलाकमान के नेता राज्य में डेरा डाले हुए हैं। केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी में आज शाम को हुई विधायकों की बैठक में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के गिले-शिकवे भी दूर हुए हैं। बैठक में कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरेजेवाला और अजय माकन जेसे केंद्रीय नेता शामिल हुए।
इस बीच मुख्यमंत्री गहलोत के लिए एक अच्छी खबर यह है कि कांग्रेस में शामिल बसपा के छह विधायक विधानसभा में वोट कर पायेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों के कांग्रेस में विलय के विरोध में दायर याचिका पर फैसला हाईकोर्ट की एकल पीठ पर छोड़ दिया है।