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गहलोत नही करा पाएं विधानसभा सत्र की मंजूरी, तीसरी बार भी प्रस्ताव नामंजूर

राजस्थान में राजनीतिक सियासत की उठापटक जारी है । यहा शह और मात का खेल चल रहा है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कल तीसरी बार प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र के पास विधानसभा सत्र बुलाने के लिए प्रस्ताव भेजा था । जिसे आज राज्यपाल ने नामंजूर कर दिया।

इससे मुख्यमंत्री गहलोत को तगड़ा झटका लगा है । प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर हालत में 31 जुलाई को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए अड़े हुए थे । इसके चलते ही वह राजभवन में तीन बार प्रस्ताव भेज चुके हैं । लेकिन प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने इन प्रस्तावों को संवैधानिक तौर पर खारिज करते हुए वापस लौटा दिया।

हालांकि अब लोगों की नजर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अगले रणनीतिक कदम पर होगी। अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचाने के लिए पहले सचिन पायलट के साथ सियासी जंग चल रहे थे तो अब वह राज्यपाल कलराज मिश्र से विधानसभा सत्र बुलवाने की कोशिश में लगे थे।

विधानसभा सत्र बुलाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व में राज्यपाल को जनता के द्वारा राजभवन घेराव का भय दिखाकर भी दवाब बना चुके है। यही नहीं बल्कि वह राज्यपाल पर केंद्र के इशारों पर उनकी सरकार को अस्थिर कराने तक के आरोप लगा चुके है।

उधर दूसरी तरफ इस राजनीतिक उठापटक के चलते प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने अब 15 अगस्त को होने वाले महत्वपूर्ण कार्यक्रम को भी रद्द कर दिया है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल कलराज मिश्र ने 15 अगस्त को राजभवन में होने वाला ऐट होम कार्यक्रम को निरस्त कर दिया है।

हालांकि इसकी वजह कोरोनावायरस का संक्रमण बताई जा रही है। दूसरी तरफ राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। लोगों का कहना है कि विधानसभा सत्र को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल के बीच चल रही खींचतान के कारण राजभवन का ऐट होम कार्यक्रम रद्द किया गया है।

तीसरी बार भी राजभवन से विधानसभा सत्र के मामले पर मायूसी मिलने के बाद अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अगला कदम क्या होगा। हालांकि राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब कैबिनेट की मीटिंग करके अपना मकसद पूरा कर सकते हैं ।

जिसमें वह कैबिनेट में विधानसभा सत्र का प्रस्ताव पास करा सकते हैं। लेकिन अंत में यह प्रस्ताव तभी मंजूर होगा जब राजभवन इसको स्वीकृति प्रदान देगा। फिलहाल की सिचुएशन को देखते हुए विधानसभा सत्र मुमकिन नही लग रहा है।

गौरतलब है कि विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कम से कम 21 दिन पहले राज्यपाल को प्रस्ताव दिया जाना जरूरी होता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस नियम पर खरे नहीं उतर रहे हैं । इसके साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र को सबसे बड़ी चिंता कोरोना काल में 200 विधायकों के विधानसभा सत्र में शामिल होने को लेकर है ।

राज्यपाल कलराज मिश्र चिंतित इस बात को लेकर है कि ऐसे में सोशल डिस्टेंस का पालन कैसे संभव होगा। हालांकि ऐसे संशय भरे सवालों को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के समक्ष भेजा था। लेकिन उसका जवाब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा नहीं दिया गया । जिससे विधानसभा सत्र का मामला अटक गया।

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