लॉकडाउन में जब लोग कोरोना नामक बीमारी के चलते दहशत की जिंदगी जी रहे थे और अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे, तब जिला गाजियाबाद के गनौली गांव में शिक्षा का नया मंदिर स्थापित हुआ था। गनौली गाँव में पिछ्ले वर्ष अगस्त माह में लाइब्रेरी स्थापित कर स्थानीय लोगों ने देश के भविष्य को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया था । लाइब्रेरी में अध्ययन करके प्रतियोगिता परीक्षाओं में अव्वल आने के लिए यहां के बच्चों ने दिन-रात एक कर दिए। जिसके फलस्वरूप पॉजिटिव परिणाम सामने है।
“गनौली मॉडल” और ग्राम पाठशाला की लगन एवं मेहनत का नतीजा यह है कि पिछले 7 माह के शैक्षिक माहौल में यहां के 19 बच्चे सफलता की राह पर आगे बढ़ चुके हैं। फिलहाल दिल्ली पुलिस की लिखित परीक्षा में गनौली गाँव के 19 बच्चों ने सफलता हासिल कर रिकॉर्ड बना दिया है।
आखिर वही हुआ जिसकी उम्मीद की जा रही थी। पिछली बार इस गाँव में केवल एक बच्चे ने दिल्ली पुलिस की परीक्षा पास की थी। लेकिन अब 19 बच्चों ने परीक्षा पास करके गनौली मॉडल की लोकप्रियता को जन – जन तक पहुंचा दिया है । इस लोकप्रियता के लिए न केवल बच्चे बधाई के पात्र हैं बल्कि टीम ग्राम पाठशाला का सपोर्ट सिस्टम भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गाँव के समस्त व्यक्ति विशेषकर सरकारी सेवा में कार्यरत नौजवान लाइब्रेरी में पढ़ रहे बच्चों के पीछे दीवार की तरह खड़े रहते हैं। यह नौजवान बच्चों की पढ़ाई से संबंधित समस्याओं के निदान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
गांव के बच्चों को प्रेरित करने के लिए समय-समय पर मोटिवेशन और काउंसलिंग की भी व्यवस्था कराई जाती है। बच्चों को अभ्यास कराने के लिए लाइब्रेरी पर ही प्रतियोगी परीक्षा की तर्ज पर परीक्षाओं का आयोजन कराया जाता है। गनौली गाँव में पुस्तकालय की स्थापना के बाद इन युवाओं ने टीम ग्राम पाठशाला की स्थापना की। इसमें सबसे महत्वपूर्ण किरदार दिल्ली पुलिस के सीनियर ऑफिसर रहे लाल बहार का है। मिशन एजुकेशन की शुरुआत करके लाल बहार ने न केवल गनौली बल्कि आसपास के कई गाँव और कई जनपदों तक गनौली मॉडल को पहुंचाया। इसमें टीमवर्क का संयोजन और संतुलन दिखाई दिया। लाल बहार के साथ ही गनौली गांव के भविष्य के साथ हर वह सरकारी कर्मचारी खड़ा था जो नौकरी में नियुक्त हो चुके हैं ।
यह सभी सरकारी कर्मचारी “ग्राम पाठशाला” मुहिम के सक्रिय सदस्य हैं । जिनमें देवेन्द्र बैसला ,सोनू बैसला ,रविन्द्र बैसला, कुलदीप बैसला, अमर बैसला, आजाद बैसला,प्रवीण बैसला, संजय बैसला, जयप्रकाश बैसला,सचिन मुखिया,कृष्ण शर्मा,जॉनी पांचाल,विनय बैसला,मोहित बैसला, मोनू बैसला का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। मजे की बात यह है कि ड्यूटी करने के बाद हर व्यक्ति अपने घर की तरफ रुख करता है, लेकिन ग्राम पाठशाला की टीम के सभी सदस्य घर जाने की बजाए सबसे पहले लाइब्रेरी जाकर रुकते हैं। जहां लाइब्रेरी में अध्ययनरत बच्चों को वह मोटिवेट करते हैं। इसके साथ ही उनको हर तरह से सहयोग करते हैं।
प्राय: देखने में यह आता है कि जब किसी की सरकारी नौकरी लग जाती है तो वह अपनी नौकरी और अपने परिवार तक सीमित हो जाता है। और वह सेटल जिंदगी जीने लगता है। लेकिन ग्राम पाठशाला से जुड़े व्यक्ति इसके वितरित काम करते हुए दिखाई दिए। मतलब यह है कि वह व्यक्ति जो सरकारी नौकरी में चैन की जिंदगी बसर कर रहा है वह ना केवल अपने बच्चे बल्कि पूरे गांव के भविष्य का सपना सजाए हुए हैं। गनौली गांव में आज शिक्षा की नई तहरीर लिखी जा रही है। इस शिक्षा की तहरीर में हर व्यक्ति हर उस बच्चे के साथ हैं जो लाइब्रेरी में अध्ययन कर रहा है।
इसी के साथ ही “गनौली मॉडल” जिला गाजियाबाद के अलावा जिला बागपत, जिला गौतम बुध नगर, जिला हापुड़, जिला बुलंदशहर, जिला मुजफ्फरनगर, एटा और मेरठ के साथ ही आठ जिलों तक विस्तार पा चुका है। यह विस्तार पूरे देश में किया जाना है। जिसमें ग्राम पाठशाला सक्रिय है। ग्राम पाठशाला अब तक लगभग 150 गाँवों में लाइब्रेरी निर्माण के लिए जन-जागरण अभियान चला चुकी है। 50 से ज्यादा गाँवों में अभी तक लाइब्रेरी बन चुकी है और इतने ही गाँवों में लाइब्रेरी निर्माण का कार्य चल रहा है। टीम ग्राम पाठशाला का मिशन देश के हर गाँव में एक लाइब्रेरी खुलवाना है जिसके लिए टीम ग्राम पाठशाला देश के कुल 6,64,369 गाँवों में जन-जागरण हेतु पहुंचेगी।