हरियाणा में भाजपा की सहयोगी पार्टी जेजेपी है। अगर दुष्यंत चौटाला की जेजेपी सरकार के खिलाफ हो गई तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा।
लेकिन हरियाणा में खट्टर की तो सहयोगी दल के साथ सही दाल गल रही है। जबकि उनके ही एक मंत्री जिन्हे गब्बर कहा जाता है, उनसे आजकल खट्टर की टक्कर हो गई है।
गब्बर यानी अनिल विज मुख्यमंत्री से अपने गृह मंत्रालय में हस्तक्षेप होने के चलते खासे नाराज चल रहे है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के बाद अनिल विज भाजपा के बड़े नेताओ में सुमार रहे है।
फिलहाल गब्बर और खट्टर में शीत युद्ध छिड़ गया है। यह युद्ध सीआईडी विभाग को लेकर है। सीआईडी पर वर्चस्व को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज आमने-सामने आ गए है।
ऐसा नहीं है गब्बर यानी अनिल विज के साथ महकमों को लेकर मुख्यमंत्री के साथ टकराहट इस बार के कार्यकाल में ही हुई है। बल्कि भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में भी विज के महकमों के तबादलों को लेकर खींच तान जारी रही थी।
कभी उन्हें खेल विभाग के कार्यक्रमों का मंत्री रहते हुए निमंत्रण नहीं मिलता था तो कभी विभाग के आयोजनों में कार्ड पर उनका नाम तक नहीं छापा जाता था।
इस बार 27 अक्टूबर, 2019 को बनी भाजपा सरकार में यह समझा जा रहा था कि अनिल विज को गृह मंत्री बनाने के बाद सरकार ने उन्हें गृहमंत्री की पूरी शक्तियां दे दी हैं।
ढाई माह पूर्व अनिल विज को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गृह मंत्रालय के साथ ही स्थानीय निकाय और स्वास्थ्य सहित सात विभागों की जिम्मेदारी सौंपी थी।
इस तरह 18 विभागों वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल और 10 विभागों वाले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के बाद वह सरकार में तीसरे नंबर के मंत्री हैं।
दूसरी तरफ ढाई महीनो में सरकार की कार्रवाई की दृष्टि से देखें तो लापरवाह कर्मचारियों को निलंबित कर जांच बैठाने में नंबर एक का दर्जा दिया गृह मंत्री अनिल विज को दिया जा सकता है।
उनके पास प्रतिदिन 400 से अधिक शिकायतें पहुंच रही हैं। लेकिन पुलिस विभाग में तबादला सूची पर एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि वर्तमान सरकार में भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।
बताया जा रहा है कि विज और खट्टर में तकरार पिछले साल के अंतिम दिनों में शुरू हुई थी। पुलिस के अफसरों के तबादलों को लेकर सरकार में गृह मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच यह तकरार 30 दिसंबर 2019 से बढ़ गई।
विज की मर्जी के बगैर हुए इन तबादलों को लेकर विज ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिख कर पूछा है कि ऐसा क्यों किया गया?
यही नहीं बल्कि पत्र में रूल्स ऑफ बिजनेस का हवाला देकर अनिल विज ने कहा है कि पुलिस के तबादले से पहले गृहमंत्री होने के नाते से उन्हें पूरी जानकारी दी जानी चाहिए थी जो कि नहीं दी गई। इसके चलते ही मामला सुर्खियों में आ गया है।
उधर, दूसरी तरफ हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के पास सीआईडी है या नहीं इसको लेकर विवाद बना हुआ है। एक तरफ सरकारी वेबसाइट पर सीआईडी मुख्यमंत्री के पास होना अपडेट कर दिया गया है।
इस पर अनिल विज का कहना है कि मुख्यमंत्री चाहें तो वो सीआईडी विभाग गृहमंत्री से वापिस ले सकते हैं। लेकिन ऐसा कैबिनेट बैठक और विधानसभा के पास किए बिना नहीं हो सकता।
इसलिए सीआईडी अभी तक उनके पास है। इसी के साथ अनिल विज ने कहा है कि सरकारें वेबसाइटों से नहीं नियमों से चलती है।
सीआईडी विभाग विज से वापस ले मुख्यमंत्री के पास आ गया है ऐसा सरकारी वेबसाइट पर अपडेट किया गया है, लेकिन ऐसा कैबिनेट की मीटिंग के बिना संभव नहीं है।