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G-20 : पर्यावरण के लिए ‘ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस’ की घोषणा

बायोफ्यूल अलायंस

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जब दुनिया के बड़े नेता भारत में एकत्र हुए तो जी-20 अध्यक्ष के तौर पर भारत ने ‘ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस’ की घोषणा की। इसमें दुनिया के 9 देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया और अब भारत अन्य G19 देशों को अपना साझेदार बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यह ‘ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस’ क्या है? क्यों कहा जा रहा कि इससे मदद मिलेगी और अब पेट्रोल-डीजल सस्ते हो जाएंगे।

भारत अपनी अधिकांश पेट्रोल और डीजल की जरूरतों को दुसरे देशों से आयात करता है। इसलिए वह लगातार ऊर्जा संक्रमण यानी ऊर्जा के स्रोत को बदलने पर जोर देता रहा है। हालाँकि, दुनिया को एक चक्रीय अर्थव्यवस्था की भी आवश्यकता है। यह दूसरी बार है जब भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना के बाद दुनिया के प्रमुख देशों को एक मंच पर लाने में सफल हुआ है।

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस में भारत के अलावा अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ब्राजील, इटली, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अमेरिका शामिल हैं। जबकि कनाडा और सिंगापुर फिलहाल पर्यवेक्षक देश हैं। 19 में से सात देश G20 में हैं, चार G20 आमंत्रित देशों में हैं, जबकि आठ न तो G20 सदस्य हैं और न ही आमंत्रित हैं। विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, विश्व आर्थिक मंच, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच, अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं। मोदी ने अमेरिका, ब्राजील, यूएई, सिंगापुर, इटली, अर्जेंटीना, बांग्लादेश और मॉरीशस के नेताओं की मौजूदगी में ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस का गठन किया।

मोदी ने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा, मैं इस गठबंधन में शामिल होने वाले सदस्य देशों को धन्यवाद देता हूं।  वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का गठन स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उठाया गया एक कदम है।

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस क्या है?

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की स्थापना में भारत, ब्राजील और अमेरिका का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। वर्तमान में दुनिया के सबसे लोकप्रिय जैव ईंधन ‘इथेनॉल’ में इन 3 देशों का योगदान लगभग 85 प्रतिशत है। इस गठबंधन का प्रारंभिक मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में गैसोलीन में 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा देना है। इसका लाभ प्रदूषण के स्तर को कम करना और ईंधन की बढ़ती लागत को नियंत्रित करना है। इसके अलावा जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर इसे और विकसित करना, जैव ईंधन से संबंधित मानकों और प्रमाणपत्रों का निर्धारण करना आदि। ताकि दुनिया भर में जैव ईंधन के उपयोग को लेकर नई जागरूकता लाई जा सके। यह गठबंधन देशों के लिए जैव ईंधन पर अपने अनुभव साझा करने और इसे अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने का एक मंच भी बन जाएगा।

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क्या कम होंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?

भारत लगातार पेट्रोल और डीजल के आयात बिल को कम करने की कोशिश कर रहा है। यह देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक ईंधन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। लोगों को प्रगति के लिए सस्ता ईंधन मिल सके। इसलिए, भारत ने पेट्रोल और डीजल के साथ इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, इथेनॉल पंप, इलेक्ट्रिक वाहन, फ्लेक्स ईंधन वाहन, हाइड्रोजन वाहनों को बढ़ावा देने और देश भर में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी खुद हाइड्रोजन कार से संसद पहुंचे और कंपनियों से इस दिशा में आगे बढ़ने को कहा। हाल ही में इसे फ्लेक्स फ्यूल कारों के साथ भी देखा गया है। इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए बैटरी समेत अन्य मानक तय किए गए हैं। सरकारी वाहनों की खरीद में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी जा रही है। वाहन स्क्रैपिंग से लेकर बैटरी स्वैपिंग तक की नीतियां भी तैयार की गई हैं। इन सबका मकसद पेट्रोल-डीजल सस्ता करना और आयात पर देश की निर्भरता खत्म करना है।

अर्थव्यवस्था बढ़ेगी और रोजगार मिलेगा

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना के बाद दुनिया भर में सौर उपकरणों की उपलब्धता तेजी से बढ़ी है। इससे लागत कम हुई और लोगों के बीच इनका उपयोग बढ़ा। इसी तरह ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस से अगले 3 वर्षों में जी20 देशों में 500 अरब डॉलर के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

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