यह साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बहुत ही मुश्किलों वाला रहा है। पहले कोरोना काल के दौरान भारत में बड़ी संख्या में लोग अकाल मौत मरे। इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी चौपट हो गई। रही सही कसर संसद में पास हुए तीन कृषि बिलो ने निकल दी। यह कानून भाजपा ने कई महीने पहले ही संसद के दोनों सदनों में पास करा लिए थे। तब केंद्र सरकार को जरा सा भी इल्म नहीं था कि साल समाप्त होते होते यह कानून उनके लिए गले की हड्डी बन जायेंगे। हालात यह है कि किसानों के आंदोलन शुरू होने के बाद एक एक कर उनके दोस्त भी सरकार का साथ छोड़ रहे है। शुरुआत अकाली दल ने की थी। जबकि अब राजस्थान के दिग्गज नेता और केंद्र सरकार में शामिल रहे हनुमान बेनीवाल ने भी अलग होकर किसानों के समर्थन में लड़ाई लड़ने की हुंकार भर दी है।
शिरोमणि अकाली दल के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने अब एनडीए से अपनी राहें अलग कर ली हैं। बेनीवाल ने कल ही को किसानों और पार्टी कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ दिल्ली कूच किया है। यही नहीं बल्कि बेनीवाल अपने हजारों समर्थको के साथ दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल चुके है। राजस्थान में नागौर से लेकर बाड़मेर तक में जाट समुदाय के लोगों के बीच बेनीवाल का अच्छा आधार माना जाता है।
गौरतलब है कि बेनीवाल पिछले कई दिनों से राजस्थान के अपने प्रभाव वाले इलाक़ों में जनसंपर्क में जुटे हुए थे और उन्होंने 26 दिसंबर को किसानों और पार्टी कार्यकर्ताओं से दिल्ली कूच करने का आह्वान किया था। बेनीवाल ने कृषि क़ानूनों के समर्थन में कुछ दिन पहले संसद की तीन लोकसभा कमेटियों से इस्तीफ़ा दे दिया था। बेनीवाल ने कहा था कि सरकार किसानों के आंदोलन को कुचलना चाहती है।
यहा यह भी बताना जरुरी है कि राजस्थान के नागौर से लोकसभा के सांसद बेनीवाल ने 30 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा था कि तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने व स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफ़ारिशों को लागू करने का काम तुरंत नहीं किया गया तो आरएलपी के एनडीए में बने रहने पर पुनर्विचार किया जाएगा। राजनितिक पंडितों की माने तो राजस्थान में आबादी के लिहाज से सबसे बड़े जाट समुदाय से आने वाले बेनीवाल शायद इस बात को जानते हैं कि किसानों के इस आंदोलन के दौरान अगर वे सरकार के साथ दिखे तो उन्हें सियासी नुक़सान हो सकता है। याद रहे कि बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था।