सरकार की तरफ से आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा ने अवैध करार दिया है। जस्टिस श्रीकृष्णा उस समिति के अध्यक्ष थे जो निजी डेटा सुरक्षा विधेयक का पहला मसौदा लेकर आई थी। एक अखबार को दिए अपने बयान में जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा, “किस कानून के तहत आप इसे हर किसी के लिए अनिवार्य कर रहे हैं। अभी तक इसके लिए कोई कानून नहीं है।”
उन्होंने कहा, “नोएडा पुलिस का आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी है। मैं यह मान रहा हूं कि यह अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है और इस तरह के आदेशों को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।” उन्होंने ये भी कहा कि आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए जारी दिशानिर्देशों को पर्याप्त कानूनी समर्थन नहीं माना जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा, “राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम दोनों कानून एक विशेष कारण के लिए हैं। मेरे विचार में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एक वैधानिक निकाय नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक है कि ऐसा आदेश कार्यकारी स्तर पर जारी किया जाता है। इस तरह के आदेश को संसदीय कानून द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए, जो सरकार को ऐसा आदेश जारी करने के लिए अधिकृत करेगा।”
गौरतलब है कि 1 मई को देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाए जाने के बाद गृह मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य बना दिया। इसने स्थानीय अधिकारियों से भी कहा है कि वे कैंटोनमेंट ज़ोन में ऐप की 100 फीसदी कवरेज सुनिश्चित करें। ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए), 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी किए गए थे।