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फांसी के फंदे पर लटके मिले सीबीआई के पूर्व निदेशक

  उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड की जांच करने वाले सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्वनी कुमार  कल सात अक्टूबर  को अपने शिमला स्थित आवास पर फांसी के फंदे से लटके पाए गए। अब यह बात आ रही है कि अश्वनी कुमार ने आत्महत्या की है । हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने खुलासा किया कि उन्होंने  बीमारी और विकलांगता की वजह से  अपना जीवन समाप्त कर दिया । वर्ष 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार ने कल सात अक्टूबर की शाम छोटा शिमला के पास ब्रोकहॉर्स्ट स्थित अपने  आवास पर कथित आत्महत्या की।

मीडिया से बातचीत में डीजीपी ने कहा, ‘हमें एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि वह अपनी मर्जी से बीमारी और विकलांगता के कारण अपना जीवन समाप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी आत्मा एक नई यात्रा पर जा रही है और किसी को दुखी होने की आवश्यकता नहीं  है । उन्होंने यह भी कहा कि उनके मरने पर कोई अनुष्ठान या समारोह नहीं हो।’

उन्होंने आगे  बताया कि शिमला में कल शाम सात बजे सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर के बेटे और बहू ने उन्हें अपने कमरे में लटके हुए पाया था। वह हर दिन शाम 7 बजे के आसपास ध्यान लगाते थे और सभी दरवाजे खुले रखते थे। कल  लगभग 7.00 बजे जब उनका बेटा और बहू टहलने जा रहे थे, तो उन्होंने अटारी के सभी दरवाजों को बंद पाया। जब दरवाजा तोड़ा गया तो कुमार को वहां रस्सी से लटका पाया। उन्होंने उसे नीचे लाने के लिए रस्सी काट दी।उनका  आज  पोस्टमॉर्टम होगा।

अधिकारियों के मुताबिक शुरुआती जांच से लगता है कि पिछले छह महीने में कुमार के सक्रिय जीवन में आया ठहराव, उनका अचानक यूं घर में बंद होकर रह जाना आत्महत्या का कारण जान पड़ता है, लेकिन पुलिस सभी पहलुओं से जांच कर रही है। उनके पड़ोसियों में से एक ने बताया कि कुमार हमेशा की तरह शाम को टहलने गए थे। घर आने के बाद वह बरसाती में गए। पड़ोसी ने बताया कि परिवार को कोई सदस्य उन्हें रात के भोजन के लिए बुलाने बरसाती में गया था, उसी ने सबसे पहले उनका शव देखा।

हिमाचल प्रदेश के नाहन के रहने वाले कुमार वर्ष 2008 में सीबीआई के निदेशक बने थे जब एजेंसी आरुषि तलवार हत्या मामले की जांच कर रही थी। कुमार ने विजय शंकर की जगह सीबीआई के निदेशक का पद संभाला था। उस दौरान आरुषि हत्याकांड लगभग रोज सुर्खियों में रहता था। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार खास दस्ता विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के साथ भी काम किया है। संप्रग सरकार ने वर्ष 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया था।  कुमार वर्तमान में शिमला के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति थे।

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