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खाद्य एवं रसद विभाग के अधीन (गेंहूं एवं धान) जनपद स्तर पर बने विपणन केन्द्रांे में व्यापक स्तर पर धांधली हो रही है। इस खेल में विपणन केन्द्र के विपणन निरीक्षक से लेकर अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी किसानों के नाम पर अवैध कमाई में जोर-शोर से जुटे हैं। स्थिति यह है कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद गेहूं एवं धान किसान बिचैलियों के हाथों लुटने पर विवश है। कमाई के जिस बडे़ हिस्से को किसानों के हक में जाना चाहिए था वह हिस्सा विपणन केन्द्र के अधिकारियों से लेकर खाद्य एवं रसद विभाग के कुछ बडे़ जिम्मेदार अधिकारियों की जेबों में जा रहा है। किसानों के हक की लूट का जीता-जागता नमूना देखना है तो मीरजापुर के विकास खण्ड हलिया के विपणन केन्द्र का नजारा देख आइए। यहां पर खुलेआम अधिकारियों के संरक्षण में किसानों के हक में सेंधमारी हो रही है और सरकार व सरकारी कारिन्दें सब कुछ जानते हुए भी चुपचाप बैठे हैं।
खाद्य एवं रसद विभाग के अधीन कार्यालयों में हैरतअंगेज कारनामों का नजारा देखना है तो आपको जिला मीरजापुर की विपणन शाखा हलिया का एक दौरा करना पड़ेगा। इस शाखा पर तैनात विपणन निरीक्षक अल्पना चैरसिया और संभागीय खाद्य नियंत्रक (विंध्याचल संभाग) रवि कुमार श्रीवास्तव का संयुक्त खेल न सिर्फ किसानों के साथ छल कर रहा है बल्कि सरकारी खजाने को भी लूटने के हथकण्डे अपना रहा है। ये खेल हाल ही का नहीं बल्कि पिछले काफी समय से ऐसा ही चलता चला आ रहा है। तमाम शिकायतों के बावजूद इन जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई न किया जाना इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि अवैध कमाई का एक बड़ा हिस्सा शासन स्तर पर बैठे आला अधिकारियों तक भी पहुंचाया जा रहा है अन्यथा क्या वजह है कि तमाम प्रमाणिक शिकायतों के बावजूद इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही।
इनके द्वारा खेले गए खेलों पर एक नजर डालिए। विपणन शाखा केन्द्र हलिया की विपणन निरीक्षक अल्पना चैरसिया द्वारा धान की खरीद एक बिचैलिए के माध्यम से की जा रही है। इस शाखा में भगवान दास पाल नाम का एक कथित दलाल पिछले कई वर्षों से अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त कर धान-गेहूं खरीद में सक्रिय है। इस दलाल को यहां के लोग बल्ले पाल के नाम से ज्यादा जानते हैं। यह मवईखुर्द का रहने वाला है। बताया जाता है कि यह दलाल अधिकारियों की शह पाकर इतना मनबढ़ हो गया कि विभाग के कर्मचारियों को तो ये जवाब देना भी उचित नहीं समझता। इस दलाल की डीसीएम सुबह चार बजे बिना किसी परमीशन के सीधे गोदाम पहुंच जाती है और वहां पर पहले से ही तैनात कुछ लोग जो हलिया शाखा से सम्बद्ध नहीं हैं, धान-गेहूं उतारने में जुट जाते हैं। चूंकि शाखा के कर्मचारी इस दलाल की हैसियत से भलीभांति वाकिफ हैं लिहाजा कोई विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। खास बात यह है कि इन्हीं लोगों के बीच से कुछ लोगों को किसान बनाकर बिल बनवाया जाता है। उदाहरण स्वरूप कोल जाति के बुदुन के पास मात्र एक हेक्टेयर जमीन है फिर भी इनके नाम से 140 क्विंटल गेहूं की खरीद दिखायी गयी और 27 नवम्बर 2018 को 38 क्विंटल 40 किलो धान की खरीद भी इन्हीं के नाम से दर्शायी गयी है।
बुदुन तो महज एक उदाहरण मात्र है जबकि हकीकत यह है कि विपणन निरीक्षक अल्पना चैरसिया के सम्पर्क में ऐसे दलालों और फर्जी किसानों की लम्बी सूची है जिसे समय-समय पर इस्तेमाल किया जाता रहा है।
विगत वर्ष दिसम्बर माह में मुख्यमंत्री को भेजे गए एक शिकायती पत्र में शिकायतकर्ता रोहित कुमार पाण्डेय का दावा है कि यदि विपणन रजिस्टर पर दर्ज किसानों के नामों के आधार पर उनकी जमीनों की पड़ताल कर ली जाए तो हकीकत खुद-ब-खुद सामने आ जायेगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि फर्जीवाड़ा करके सरकार की आंख में धूल झांेकने के बावजूद विपणन निरीक्षक अल्पना चैरसिया और संभागीय खाद्य नियंत्रक (विंध्याचल संभाग) रवि कुमार श्रीवास्तव हैरतअंगेज कारनामो को अंजाम देने के बावजूद अब तक बचे कैसे हुए हैं। इस सन्दर्भ में इस संवाददाता की मुलाकाल हलिया शाखा के कुछ कर्मचारियों से हुई तो उन्होंने बताया कि जिन अधिकारियों के पास शिकायती पत्र भेजे जाते हैं वे इस मामले को दबा जाते हैं, कारण स्पष्ट है, रिश्वत की परम्परा का इमानदारी से निर्वहन।
फिलहाल कहना गलत नहीं होगा कि कुछ भ्रष्ट शीर्ष अधिकारियों के संरक्षण में मातहत अधिकारियों के कारनामे मौजूदा सरकार की नीतियों को पलीता लगाने से नहीं चूक रहे।

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