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चारा घोटाले मामले में पांच साल की सजा

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाले में पांच साल की सजा सुनाई गई है। 21 फरवरी को सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज एसके शशि ने यह फैसला सुनाया है। सजा के साथ उनपर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 15 फरवरी को लालू प्रसाद यादव समेत अन्य आरोपियों को को 139.5 करोड़ रुपये के डोरंडा कोषागार से जुड़े चारा घोटाले में दोषी पाया था। कोर्ट ने उस समय सजा का ऐलान नहीं किया था। लेकिन 21 फरवरी को उसी मामले में सुनवाई हुई और लालू यादव को सजा सुनाई गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को इससे पहले चारा घोटाले से जुड़े चार अन्य मामलों में करीब 21 साल की सजा सुनाई गई थी। इनमें दुमका, देवघर और चाईबासा के दो मामले शामिल थे। चाईबासा का पहला मामला 37 करोड़ की अवैध निकासी का था, उसमें लालू को पांच साल की सजा हुई थी। देवघर कोषागार से 79 लाख की निकासी के मामले में आरजेडी मुखिया को 3.5 साल की सजा हुई थी। फिर चाईबासा के दूसरे मामले में 33.13 लाख की अवैध निकासी को लेकर उन्हें पांच साल की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को सात साल की सजा हुई थी। इन सभी मामलों में उन्हें करीब 1 करोड़ जुर्माना भी भरना पड़ा था। फिलहाल लालू यादव जमानत पर बाहर हैं। लालू प्रसाद यादव की तबीयत फिलहाल ठीक नहीं है। तबियत ठीक न होने के चलते ही उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिली थी।

क्या है डोरंडा कोषागार मामला?

सयुक्त बिहार और झारखंड के चारा घोटाले का यह सबसे बड़ा मामला है। यह मामला वर्ष 1990 से 1995 के बीच का है। लेकिन इसका पता वर्ष 1996 में उस वक्त लगा था, जब कुछ सरकारी अधिकारियों ने फर्जी खर्चे की रिपोर्ट्स जमा की थीं। इसके बाद सामने आया कि डोरंडा कोषागार से करोड़ों रुपये निकाले गए और बिना वेरिफिकेशन के फर्जी खर्च की रिपोर्ट दिखाई गईं। यह घोटाला सामने आने के बाद लालू प्रसाद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा पर भी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था। अदालत ने उन्हें दोषी भी करार दिया था, लेकिन बाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया था। उस समय अदालत ने कहा था कि जगन्नाथ मिश्रा पर इस मामले में सीधे तौर पर कोई आरोप सिद्ध नहीं होता है।

यह भी पढ़े :एक और मामले में दोषी पाए गए लालू यादव

गौरतलब है कि डोरंडा कोषागार से जुड़े घोटाले में शुरुआत में लगभग 170 आरोपी थे। इसमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है। दीपेश चांडक और आरके दास समेत सात आरोपियों को सीबीआई ने गवाह बनाया है। वहीं सुशील झा और पीके जायसवाल ने कोर्ट के फैसले से पहले ही खुद को दोषी मान लिया था। वहीं मामले में छह नामजद आरोपी फरार हैं। इस घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ आरके राणा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, प्रदेश के तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ केएम प्रसाद सहित 99 आरोपी हैं।

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