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ब्लैक फंगस से निपटने के लिए पांच और कंपनियों को मिला लाइसेंस

ब्लैक फंगस से निपटने के लिए पांच और कंपनियों को मिला लाइसेंस

कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है। देश में कोरोना हर दिन नए रूप बदल रहा है और ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इस कारण अस्पतालों में कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में एक ओर जहां देश कोरोना की मार से झुलस रहा है तो दूसरी ओर ब्लैक फंगस नामक (म्यूकरमाइकोसिस) के भी नए मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इस फंगल इंफेक्शन की एकमात्र दवा एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कमी के चलते देशभर में इससे संक्रमित लोगों को जूझना पड़ रहा है। इस सबके बीच ब्लैक फंगस की एकमात्र दवा एंफोटेरिसिन-बी की भारी कमी चलते इस समस्या से उबरने के लिए भारत सरकार ने इस दवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पांच और कंपनियों को लाइसेंस दे दिया है।

इससे पहले सरकार ने कहा था कि म्यूकरमाइकोसिस से निपटने के लिए लिपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने इस दवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पांच और कंपनियों को लाइसेंस दिया है, जो इस दवा को बना सकती हैं।

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि देश को यह दवा दुनिया में कहीं से भी उपलब्ध कराई जाए। ऐसे में इस दवा की आपूर्ति हासिल करने का कार्य तेजी से होने लगा, जिसके बाद यह दवा संयुक्त राज्य अमेरिका में गिलियड साइंसेज की मदद से हासिल की जा रही है।

गिलियड साइंसेज करेगा दवा की आपूर्ति

सूत्रों के मुताबिक गिलियड साइंसेज अब मिलान के जरिये भारत को एंफोटेरिसिन-बी की आपूर्ति तेजी से करने पर काम कर रहा है। अब तक 1 लाख 21 हजार से ज्यादा शीशियां भारत पहुंच चुकी हैं जबकि अन्य 85 हजार शीशियां पहुंचने वाली हैं। कंपनी मिलान के माध्यम से भारत को एंफोटेरिसिन-बी की 10 लाख खुराक की आपूर्ति करेगी।

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