उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यूं तो सभी पार्टियों ने बढ़-चढ़कर महिलाओं को टिकट वितरण में हिस्सेदारी दी। यहां तक कि कांग्रेस ने तो बकायदा 40 परसेंट महिलाओं को टिकट में रिजर्वेशन कर दिया। इसके अलावा सपा बसपा और भाजपा सभी ने महिलाओं को अपनी पार्टी से प्रत्याशी बनाया। इनमें बहुत सी महिलाएं चुनाव जीती। लेकिन प्रदेश में 5 महिलाएं ऐसी भी हैं जो चुनाव तो हारी लेकिन लोगों का दिल जीत गई। चुनाव हार कर भी लोगों का दिल जीतने वाली ऐसी महिलाओं की चर्चा , आम है। सबसे पहले बात करते रिचा सिंह की ।
रिचा सिंह प्रयागराज शहर की पश्चिमी सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी। वह भाजपा के मंत्री रहे सिद्धार्थ नाथ से चुनाव हार गई। चुनाव लड़ने से पहले रिचा सिंह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की छात्र संघ अध्यक्ष रही। 2020 में वह तब चर्चाओं में आई जब यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आने से रोक दिया था। इसके बाद काफी हलचल हुई थी । रिचा सिंह की इसी प्रतिक्रिया के बाद 2021 में यूपी पुलिस द्वारा उन्हें हाउस अरेस्ट करना पड़ा। क्योंकि तब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इलाहाबाद के दौरे पर आए थे।
दूसरे नंबर पर पंखुड़ी पाठक रही। कांग्रेस की कैंडिडेट पंखुड़ी पाठक नोएडा से चुनाव लड़ी। हालांकि वह भाजपा के पंकज सिंह से चुनाव हार गई। लेकिन इस चुनाव में वह चर्चाओं में रही। चर्चाओं में वह ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं ‘ का नारा देकर आई। इस नारे को ही कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान का टैगलाइन बनाया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया की वाइस चेयरमैन पंखुड़ी पाठक पहले समाजवादी पार्टी में थी । तब वह पार्टी की प्रवक्ता थी। उस समय पार्टी के अखिलेश यादव के साथ उन्होंने क्रांति यात्रा में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 2019 में पंखुड़ी पाठक में समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता अनिल यादव से शादी कर ली। इसके बाद वह कांग्रेस में आ गई ।
भाजपा की 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ी मृगांका सिंह एक बार फिर 2022 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद चर्चाओं में है । चर्चाओं में वह इसलिए है कि भाजपा ने कैराना के पलायन को मुद्दा बनाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव जीता। लेकिन उसी कैराना सीट से धह हार गई। पहले वह 2019 का लोकसभा चुनाव भी कैराना से हार गई थी। कैराना से प्रदेश के 7 बार विधायक रहे बाबू हुकम सिंह की पुत्री हैं । वह राजनेता से ज्यादा अध्ययन अध्यापन क्षेत्र में ज्यादा पहचानी जाती है। गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर में उनके देहरादून पब्लिक स्कूल के नाम से पांच स्कूल चल रहे हैं। 1999 में एक कार एक्सीडेंट में उनके पति की मौत हो गई। तब से वह राजनीति में आई। समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन ने उन्हें चुनाव हराया।
कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ सेंट्रल से चुनाव लड़ी सदफ जफर भी उस समय चर्चा में आई थी जब सीएए – एनआरसी का आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन में वह एक सोशल एक्टिविस्ट के रूप में सामने आई थी। सदफ जफर के खिलाफ रिपोर्ट हुई थी। तब वह जेल गई। फिलहाल जमानत पर बाहर आकर वह चुनाव लड़ रही थी । सदफ जफर उस समय भी चर्चाओं में आई थी जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रदर्शन में हुए नुकसान की वसूली करने के लिए उनके पोस्टर जगह-जगह लगाए थे। इस चुनाव में वह सपा के रविदास मेहरोत्रा से चुनाव हार गई।
वर्ष 2018 में मिस इंडिया बिकनी गर्ल का अवार्ड जीती अर्चना गौतम इस समय चर्चाओं में है । चर्चाओं में वह उस समय आई थी जब कांग्रेस ने उन्हें हस्तिनापुर से चुनाव मैदान में उतारा था। अर्चना गौतम के खिलाफ हिंदूवादी संगठनों में जमकर विरोध किया। अर्चना गौतम के खिलाफ हिंदूवादी संगठनों ने जगह-जगह धरना प्रदर्शन किए थे। यही नहीं बल्कि उन्होंने बिकनी गर्ल के चुनाव लड़ने पर भी एतराज जताया था। यहां से भाजपा के दिनेश खटीक ने उन्हें हराया है।