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सूडान से भारतीय नागरिकों का पहला जत्था सुरक्षित रवाना 

सूडान में फैली हिंसा के बीच भारतीय सेना के प्रयासों से सूडान में फंसे भारतीय नागरिकों निकलने के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू कर दिया गया है। इस अभियान के तहत सूडान में फंसे भारतीयों का पहला जत्था वहां से रवाना हो गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि ऑपरेशन कावेरी के तहत आईएनएस सुमेधा 278 लोगों को लेकर पोर्ट सूडान से जेद्दा के लिए रवाना हो गया है।
गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से अफ़्रीकी देश सूडान में सेना और अर्ध सेना बल (आरएसफ) के बीच गृह युद्ध छिड़ा हुआ है। सूडान में फैली हिंसा मूल निवासियों सहित विदेशी नागरिकों को  इसका शिकार होना पड़ा।  इन हमलों के बीच अब तक 400 से अधिक लोग अपनी जान गावं चुके हैं और हजारों लोग घायल हो गए है।  वर्तमान में सूडान में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बुल्गारिया, कुवैत, कतर, यूएई, मिस्र, ट्यूनिशिया, फिलीपींस, कनाडा और बुर्किना फासो जैसे देशों के कई नागरिक फंसे हुए हैं। जिन्हे वहां की सरकार सुरक्षित देश में वापस लाने का प्रयास कर रही हैं  .सूडान के वायु मार्ग को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसके कारण वायु मार्ग अपने नागरिकों को निकाल पाना संभव नहीं है।
सूडान में क्यों भड़की हिंसा

सूडान में क्यों भड़की हिंसा

 

अफ्रीका के मुस्लिम देश सूडान पर नियंत्रण के लिए दो गुटों में संघर्ष चल रहा है। सूडान के अर्धसैनिक बलों और सेना के बीच संघर्ष जारी है। मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कई घंटों के ठहराव के बाद राजधानी खार्तूम में लड़ाई फिर से शुरू हो गई है। सूडान की सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच हुई झड़प में अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों के एक समूह के मुताबिक, यह अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय भी है, क्योंकि देश में संघर्ष चल रहा है और पड़ोसी देश मिस्र और चाड ने अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं।
विकास पर क्षेत्रीय अंतर सरकारी प्राधिकरण (IGAD) ने सूडान पर एक आपातकालीन बैठक की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह जल्द से जल्द केन्या, दक्षिण सूडान और जिबूती के राष्ट्रपतियों को खार्तूम भेजने की योजना बना रहे हैं, ताकि विरोधी गुटों के बीच सुलह हो सके।
सूडान में संघर्ष ने एक बार फिर लोकतंत्र बहाल करने की उम्मीदों को करारा झटका दिया है।यह संघर्ष सेना और उसके पूर्व सहयोगी और अब प्रतिद्वंद्वी रैपिड सपोर्ट फोर्स ग्रुप (आरएसएफ) के बीच महीनों के तनाव के बाद आया है।
अब्दुल फतह अल-बुरहान के नेतृत्व वाली सेना ने एक बयान में आरएसएफ के साथ बातचीत से इनकार किया और इसे विद्रोही मिलिशिया कहते हुए इसे भंग करने का आह्वान किया। इस बीच अर्धसैनिक समूह ‘आरएसएफ’ ने सशस्त्र बलों के प्रमुख को ‘अपराधी’ बताया है। देश में साल 2021 में तख्तापलट हुआ था और अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि दोनों के बीच तनातनी जारी रह सकती है। सशस्त्र बलों में जनरल मोहम्मद हमदान दगलो के नेतृत्व में आरएसएफ के एकीकरण पर एक समझौते तक पहुंचने में विफलता से तनाव उत्पन्न होता है।
हिंसा 15 अप्रैल की सुबह शुरू हुई थी। राजधानी खार्तूम में लड़ाकों द्वारा ट्रक पर लगे मशीनगनों से अंधाधुंध फायरिंग से अफरातफरी का माहौल है। सैन्य मुख्यालय के पास रहने वाले एक प्रमुख मानवाधिकार वकील ताहानी अबास ने कहा, “लड़ाई खत्म नहीं हुई है।” सेना और आरएसएफ खार्तूम और अन्य जगहों पर रणनीतिक स्थानों के नियंत्रण में होने का दावा करते हैं, लेकिन उनके दावे विवादित रहे हैं। स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है।

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