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ईडी के डर से भतीजे ने बनवाई सरकार,चाचा का दिल और दल टूटे 

महाराष्ट्र में आज सुबह राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला।  सुबह बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद की शपथ दिलाई. वहीं अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। चर्चा है कि अजीत पवार को ईडी का डर दिखाकर पूरा खेल खेला गया है। अजीत पार ने भाजपा को समर्थन ईडी जांच के डर से दिया है । शरद पवार अभी भी गफलत में है । वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके साथ आखिर उन्हीं के भतीजे अजित पवार ने ऐसा विश्वासघात क्यों किया ? आज उनकी पार्टी और दिल दोनों टूट गये है।
हालांकि अभी यह बात साफ नहीं हाे सकी है कि  एनसीपी का समर्थन बीजेपी को है या नहीं। वहीं सूत्र बता रहे हैं कि एनसीपी के सिर्फ 25 से 30 विधायकों को लेकर अजित पवार सरकार बनाने आए हैं। लेकिन सवाल यह है कि महज 25 से 30 विधायकों के बल पर अजित पवार सरकार कैसे बनवा देंगे क्योंकि सरकार को बहुमत साबित करने के लिए फिलहाल 50 से 55 विधायकों की जरूरत है क्योंकि भाजपा के पास सिर्फ 105 विधायक हैं
महाराष्ट्र में सरकार बनाने की तैयारी कर रही शिवसेना के हाथ से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनकर भाजपा ने सरकार बना ली है। भाजपा ने रातों रात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनायी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस ने दूसरी बार शपथ ली है। जबकि एनसीपी नेता अजीत पवार उप मुख्यमंत्री बने हैं।
भाजपा और एनसीपी ने बेहद ही गुप्त तरीके से योजना को अंजाम दिया है। जहां शिवसेना, एनसीपी-कांग्रेस के साथ लगातार बैठक कर रही थी। वहीं भाजपा ने पर्दे के पीछे रहकर एनसीपी से संपर्क साधा। जिसकी भनक राजनीतिक दलों से लेकर मीडिया को भी नहीं लगने दी। जिसके बाद गुपचुप तरीके से शुक्रवार सुबह सरकार बना ली। साथ ही बेहद सादा समारोह में देवेंद्र फडणनवीस और अजीत पवार ने शपथ ले ली।
हालांकि शिवसेना अजित पवार के अत्रे मैं तेरे कल ही समझ गई थी जब शिवसेना से आंख बचाकर अजित पवार भाजपा के देवेंद्र फडणवीस से मिलने गए थे बकौल संजय रावत कल अजित पवार ने उनसे आंख तक नहीं मिलाई।
उधर शरद पवार की पुत्री सुप्रिया पोले ने कहा है कि उनकी पार्टी और परिवार टूट गया है। सुप्रिया इस समय सबसे बड़े सदमे में है। वह समझ नहीं पा रही है कि आखिर उनके परिवार के साथ ऐसा कैसे हुआ की चाचा – भतीजा दोनों अलग अलग हो गए । हालांकि अभी एनसीपी प्रमुख शरद पवार का स्टैंड देखा जाना बाकी है । जिन एनसीपी विधायकों के बल पर भाजपा ने सरकार बनाने का दावा किया है उनके समर्थन पत्र पर शरद पवार के हस्ताक्षर नहीं है । जबकि नियमों के अनुसार पार्टी के अध्यक्ष का हस्ताक्षर विधायकों के समर्थन पत्र पर होना जरूरी है ।

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