सोशल मीडिया के समय में आज कई काम आसान हो गए हैं लेकिन इसका उपयोग करते वक्त एक छोटी सी लापरवाही आपको बड़ी परेशानी में डाल सकती हैं । फेसबुक,इंस्टाग्राम,ट्विटर,व्हाट्सअप आदि के जरिए हुए अपराध को साइबर क्राइम कहाँ जाता हैं| आपने साइबर क्रिमिनिल्स के द्वारा बैंक खाते से पैसा लूटने की बहुत घटनए सुनी होगी | लेकिन अब साइबर क्रिमिनिल्स चूना लगाने के लिए जिस तरकीब का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो तरीका है- सेक्सटोर्शन। यानी, हवस की भूख मिटाने का लालच दो और फिर अपने जाल में फंसाकर पैसे ऐंठते रहो। दिल्ली पुलिस ने भी सेक्सटोर्शन के ऐसे ही एक बड़े गैंग का पर्दाफ़ाश किया है।
राजस्थान के भरतपुर से साइबर सेल ने सेक्सटोर्शन रैकेट के ऐसे छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है| जो सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर अपना शिकार ढूढ़ते थे । वहां अलग-अलग तरह के फर्जी प्रोफाइल बनाकर लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा करते थे और जब कोई रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेता तो उससे वीडियो कॉल के जरिए बातचीत शुरू कर देते थे । यह गैंग लोगों को अश्लील वीडियो दिखाता और देख रहे व्यक्ति का वीडियो दूसरे फोन से बना लेता। बाद में गैंग का सदस्य खुद को संबंधित सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का सीनियर ऑफिसर बताता और पीड़ित से कहता कि उसे अश्लील वीडियो देखता अपना वीडियो डिलीट करवाना है तो पैसे दे।
राजस्थान के भरतपुर गैंग से जुड़े क्रिमिनल्स अब तक 40 लोगो को ठग चुके हैं और इस गैंग के पास 17 मोबाइल फोन, दो एटीएम कार्ड, चेक बुक और 10 बैंक खाते हैं जिसमें 25 लाख रुपये मिले हैं जिनको जब्त कर लिया गया हैं। आरोपियों की पहचान 28 वर्षीय वारिस, 22 वर्षीय रईस, 21 वर्षीय अनय खान, 23 वर्षीय वाहिद, 30 वर्षीय मुफीद और 21 वर्षीय अकरम के रूप में हुई है। ये सभी भरतपुर के ही रहने वाले हैं। ज्यादातर पीड़ित की उम्र 50 वर्ष से ज्यादा की है जो फेसबुक पर ऐक्टिव रहा करते हैं। फेसबुक पर इन पीड़ितों में कुछ के प्रोफाइल कैटरिंग सर्विस देनेवाले, स्टेशनरी बिज़नेस करने वाले के हैं।
साइबर सेल के डीसीपी अन्येष रॉय ने कहा कि साइबर क्राइम यूनिट को बीते कुछ हफ्तों से ऑनलाइन उगाही रैकेट से संबंधी कई शिकायतें मिल रही थीं। लोग बता रहे थे कि कैसे कुछ लोग उनके अश्लील वीडियोज को इंटरनेट पर डालने की धमकी देकर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। शिकायत मिलने पर हमने जांच करना शुरू किया , “जांच में पता चला कि पीड़ितों को फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिए जाल में फंसाया गया। वो गैंग के सदस्यों के साथ चैट करते और उन्हें मेसेंजर या वॉट्सऐप के जरिए वीडियो कॉल करने को कहा जाता था । उन्हें वीडियो कॉल के दौरान पॉर्न वीडियोज दिखाए जाते और उसी वक्त रिकॉर्डिंग भी की जाती। कुछ देर बाद उनके पास ब्लैकमेलिंग की कॉल आ जाती और 2 से 3 हजार रुपये मांगे जाते।”
डीसीपी अन्येष रॉय ने कहा कि ज्यादातर पीड़ितों ने पैसे दे दिए जबकि कुछ ने इसकी शिकायत पुलिस से की। उन्होंने कहा, “तकनीकी सूचनाओं की मदद से आरोपियों की लोकेशन भरतपुर में मिली यह भी पता चला कि आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्रों के जरिए सिम कार्ड खरीदे और बैंक खाते तक खुलवा लिए हैं। पुलिस के सामने भरतपुर में उस जगह तक पहुंचना था जहां से सेक्सटोर्शन रैकेट चल रहा था। फिर भरतपुर के नगर एरिया में छापेमारी की गई और छह आरोपी गिरफ्त में आ गए।” आरोपियों ने अलवर के बैंक अकाउंट में उगाही के पैसे जमा कराए थे। जांच में यह भी पता चला कि “आरोपी एक-दो दिन में ही सिम कार्ड बदल लिया करते थे। सिम कार्ड फर्जी पहचान पत्रों पर देश के अलग-अलग इलाकों से लिए जाते थे।