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महिलाओं के लिए प्रेरणा रहेंगी बीबी फातिमा

 

महिलाओं का हमारे देश में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक लम्बे असर के के शोषण के बाद महिलाएं अपने लिए न केवल आवाज़ उठा रही हैं बल्कि अपने बेहतर कल के लिए भी काफी महनत कर रही हैं और अच्छे मुलायम भी हासिल कर रही हैं। लेकिन जिन महिलाओं ने देश के बड़े पदों पर अपने पेअर जमाये हैं वह हमेशा सबकी प्रेरणा का स्त्रोत रही हैं। ऐसी ही प्रेरणा का स्त्रोत रहीं ‘फातिमा बीबी’ का निधन हो गया है। यह सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल रहीं। इनका निधन 23 नवंबर 2023, को 96 साल की उम्र हुआ। जैसे इस दुखद घटना की जानकारी आधिकारिक तरीके से दी गई वैसे ही देश भर में उदासी छा गई। आज हर कोई फातिमा बीबी को याद कर रहा है और उनकी उपलब्धियों को गिना रहा है। कहा जा रहा है कि वह बेहद साहसी थीं, जिनसे सभी महिलाओं को हिम्मत मिली है।

 

आज 24 नवंबर 2023, को इनके अंतिम संस्कार की तमाम विधियां की गई हैं। पूर्व न्यायमूर्ति बीवी को बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कल दोपहर 12 बजे उनका निधन हो गया। सूत्रों का कहना है कि, ‘उनका शव पतनमतिट्टा में स्थित उनके आवास वापस लाया जा रहा है. पतनमतिट्टा जुमा मस्जिद में कल (24 नवंबर को) आखिरी रस्म पूरी की जाएगी
फातिमा बीबी
फातिमा बीवी का केरल के पतनमतिट्टा जिले में अप्रैल 1927 में जन्म हुआ था।उन्होंने ‘कैथोलिकेट हाई स्कूल’ से स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर तिरुवनंतपुरम स्थित ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज’ से बीएससी की डिग्री ली। इसके बाद बीबी ने तिरुवनंतपुरम स्थित विधि महाविद्यालय से कानून की डिग्री ली और 1950 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया। इसके बाद उन्हें वर्ष 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ के रूप में नियुक्ति हुई। उन्हें वर्ष 1968 में अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वह वर्ष 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनी।
बीबी वर्ष 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनीं और वर्ष 1980 में उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त हुई। उन्हें वर्ष 1983 में केरल हाई कोर्ट में पदोन्नत किया गया और अगले ही साल वह वहां स्थायी जज बन गईं। वर्ष 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनीं और वर्ष 1992 में वहां से सेवानिवृत्त हुईं। बीबी ने रिटायर होने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य के रूप में कार्य किया। वह वर्ष 1997 में तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं।
प्रेरणा
फातिमा बीवी ने अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान देशभर में महिलाओं के लिए एक आदर्श और नजीर के रूप में काम किया है। फातिमा बीवी का नाम ज्यूडिशरी ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं। फातिमा बीवी जज के साथ-साथ तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देने के बाद उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होकर राजनीतिक क्षेत्र पर भी अपनी छाप छोड़ी।
कई खिताब बीबी के नाम
वह किसी भी उच्च न्यायपालिका में नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला न्यायाधीश रहीं। साथ ही एशिया में एक राष्ट्र के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश का खिताब भी इन्ही के नाम है। फातिमा बीवी वर्ष 1989 में सुप्रीम कोर्ट की महिला न्यायाधीश बनी थीं, जो पहली भारतीय महिला थीं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया था। इसके अलावा, उन्होंने राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में भी कार्य किया
किसने क्या कहा?
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बीवी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ने लड़कियों के सामने आने वाली शैक्षणिक चुनौतियों से पार पाने से लेकर विधि क्षेत्र में अपना करियर शुरू करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश बनने तक की बीवी की यात्रा को याद किया है। उन्होंने कहा कि बीवी मुस्लिम समुदाय की पहली महिला थीं, जो उच्च न्यायपालिका का हिस्सा बनीं और उन्होंने सामाजिक स्थितियों के सभी प्रतिकूल पहलुओं को एक चुनौती मानकर उनका सामना किया।
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश और तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में अपनी छाप छोड़ी। जॉर्ज ने कहा, ‘वह एक बहादुर महिला थीं, जिनके नाम कई रिकॉर्ड हैं. वह ऐसी हस्ती थीं, जिन्होंने अपने जीवन से यह दिखाया कि दृढ़ इच्छा शक्ति और मकसद को लेकर समझ होने से किसी भी विपरीत परिस्थिति से पार पाया जा सकता है।’

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