राजस्थान के दौसा जिले में किसानों ने जेसीबी मशीन मंगवाकर 101 गड्ढे तैयार करवाए हैं। यहां 31 महिलाओं समेत 70 किसानों ने सांकेतिक तौर पर जमीन में समाधि ली हुई है। इस दौरान महिलाएं गोद में छोटे बच्चे भी साथ लेकर जमीन के अन्दर बैठी हैं। समाधि स्थल के चारों तरफ भीड़ उमड़ रही है। किसानों ने महिला और बच्चों के साथ जमीन समाधि ली है जिसे देखने के लिए आई भीड़ को रोकने के लिए कार्यकर्ताओं और किसानों के साथ पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। यह अनोखा आंदोलन किसान अपनी जमीनों को बचाने के लिए कर रहे है। लेकिन सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है। गत 27 फरवरी को यह अजब-गजब आंदोलन शुरू हुआ था जो आज पांचवें दिन भी जारी रहा।
गौरतलब है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास नींदड़ गांव में जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने अपना ‘जमीन समाधि सत्याग्रह’ आंदोलन सोमवार को भी जारी रखा। शहर के बाहरी क्षेत्र स्थित नींदड़ गांव के किसान जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के संदर्भ में संशोधित भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत मुआवजा देने की मांग को लेकर ‘जमीन समाधि सत्याग्रह’ आंदोलन कर रहे हैं।
इससे पहले जनवरी में किसानों ने चार दिन आंदोलन किया था। जिसे मुख्य सचेतक महेश जोशी के हस्तक्षेप के बाद स्थगित कर दिया गया था। नींदड़ बचाओ किसान संघर्ष समिति के नेता नागेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि कल पांच महिलाओं सहित 21 किसान जमीन समाधि सत्याग्रह मे शामिल हुए। आंदोलनकारी किसान जयपुर विकास प्राधिकरण की एक आवासीय परियोजना के लिए अधिग्रहण की जा रही 1,300 बीघा से अधिक भूमि का विरोध कर रहे है।
दौसा के पास लाडली का बास गांव में 101 किसानों का जमीन समाधि सत्याग्रह आज भी चल रहा है। सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ बीती रात किसानों ने खुले में ही बिताई। सुबह डाॅक्टरों की टीम ने आंदोलनरत किसानों का मेडिकल चैपकअप किया। याद रहे कि दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस हाइवे के लिए अधिग्रहण की गई भूमि का बाजार दर पर मुआवजा नहीं मिलने से किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने गुरुवार को राज्यसभा सांसद डाॅ किरोडी लाल मीणा के नेतृत्व में अनिश्चित कालीन जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया था। प्रदेश किसान संघर्ष समिति के संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि सरकार हमारी सुन नहीं रही है। हमें मजबूर होकर यह कदम उठाना पड़ा है।