किसान आंदोलन के 3 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन, किसानों की कई मांगें आज भी अधूरी हैं। जिसे सरकार के सामने लाने के लिए बीते दिन एक बार फिर 7 राज्यों के करीब 40 हजार किसानों ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर ‘गर्जना रैली’ निकली।
इस रैली का आयोजन भारतीय किसान संघ द्वारा किया गया। रैली का उद्देश्य केवल किसानों की स्थिति में सुधार लाना था। भारतीय किसान संघ का कहना है कि फल, सब्जियां, अनाज, दूध आदि उपलब्ध कराने वाले किसान आज भी अपनी कृषि उपज का पर्याप्त मूल्य न मिलने कारण नाराज और परेशान हैं, जिसके कारण मजबूरीवश किसान आत्महत्या भी कर रहे हैं। भारतीय किसान संघ ने रैली के दौरान नेताओं को एक नोट जारी करते हुए कहा, कि अगर सरकार ने समय पर किसानों की मांग नहीं मानी तो परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अपनी मांगों को सरकार के सामने रखते हुए किसानों ने कहा की हम सरकार से अपना अधिकार मांग रहें हैं किसी से कोई भीख नहीं मांग रहे। साथ ही विनती करते हुए कहा की उनकी मांगों को पूरा किया जाये।
क्या है किसानों की मांग
पूरी दुनिया के पेट भरने वाले अन्नदाता आज अपनी कई मांगों को लेकर सरकार के सामने आये हैं। किसानों द्वारा उठाई गई मांग में, सभी कृषि उपज के बदले उपयुक्त मूल्य का भुगतान, कृषि उपज पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) न लगाए जाने की मांग, उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग, किसान सम्मान निधि के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता बढ़ाई जाने की मांग, अनुवांशिक रूप से संवर्धित सरसों के बीज को मंजूरी न देने और किसान के ट्रैक्टर को 15 साल वाली नीति से बाहर रखने की मांग आदि शामिल हैं।
किसानों द्वारा उठाई गई मांग का उत्तर देते हुए केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि किसानों ने अपनी जिन मांगों से हमें अवगत कराया है सरकार उन मांगों पर जरूर विचार करेगी। क्योंकि किसानों की मांग को लेकर भारत सरकार बहुत ही संवेदनशील है। जो किसानों के लिए ही बनी है। इसलिए लगातार किसानों के हित में कार्य करेगी। अगर पहले की सरकारों ने भी किसानों के लिए इतना काम किया होता तो आज किसानों को दिक्कत ऐसी ना उठानी पड़ती।