आंदोलनकारी किसानों ने सहमति के उ्देश्य से केंद्र सरकार द्दारा भेजे गए प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। प्रस्ताव को सभी किसान यूनियन के पास भेजा गया था। जिसे अब किसानों ने खारिज कर दिया है। किसानों की मांग है कि सरकार पूरी तरह से इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे। लेकिन सरकार की तरफ से कहा गया है कि वह इन तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेगी, केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि वह इनमें सशोंधन किया जा सकता है। प्रस्ताव नामंजूर करने के बाद किसानों ने कहा है कि 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली हाईवे रोका जाएगा, और बीजेपी नेताओं को घेराव किया जाएगा। किसानों नेताओं ने कहा है कि 14 दिसंबर को पूरे देश में धरने-प्रदर्शन होगे।
किसानों को दिए गए लिखित प्रस्ताव में सरकार मुख्य रुप से ये पांच मुद्दों को लेकर आई। इन मसलों पर सरकार और किसानों के बीच हुई बैठकों में चर्चा हुई है और सरकार की ओर से कुछ ढिलाई के संकेत भी दिए गए हैं।
1. APMC एक्ट (मंडी सिस्टम) को मजबूत करना।
2. ट्रेडर्स के साथ व्यापार को सिस्टमैटिक तरीके से लागू करना।
3. किसी तरह की दिक्कत होने पर स्थानीय कोर्ट जाने का विकल्प।
4. MSP जारी रहने का प्रस्ताव।
5. पराली जलाने के खिलाफ सख्त हुए कानून में कुछ संशोधन।
सरकार की और से 13 किसान नेताओं को गृहमंत्री अमित शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया गया था। किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे जबकि पांच देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे। सूत्रों के मुताबिक, इन नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत शामिल थे। कुछ किसान नेताओं ने बताया कि यह बैठक पहले शाह के आवास पर होने वाली थी लेकिन बाद में इसे बदल दिया गया। बैठक पूसा क्षेत्र में हुई। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।