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किसान आंदोलन में उठ ही रही फूट की आशंकाएं

नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और आंदोलनरत किसानों के बीच गतिरोध कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। किसान संगठन अपनी मांगों पर अटल हैं और पीछे हटने को तैयार नहीं। इससे आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है। दूसरी तरफ सरकार ने साफ कर दिया है कि वो तीनों बिलों को वापस नहीं लेगी। किसान देशव्यापी अनशन का रास्ता अपना चुके हैं। लड़ाई आर-पार की है, लेकिन इस बीच आंदोलन में फूट पड़ने या आंदोलन में फूट डालने की खबरें भी सुर्खियां बनने लगी हैं।

किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे भारतीय किसान यूनियन भानु गुट में रविवार को नोएडा से दिल्ली को जाने वाले चिल्ला बार्डर खोलने को लेकर दो फाड़ हो गए। दरअसल, भाकियू भानु गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद रास्ता खोलने का निर्णय लिया। यह बार्डर दिल्ली से नोएडा बाॅर्डर जाने का केवल एक मात्र विकल्प रह गया था। इस चिल्ला बाॅर्डर को किसानों ने 14 दिन से बंद कर रखा था।

छले दो हफ्ते से किसानों के धरना प्रदर्शन के कारण बंद रहा, नोएडा-दिल्ली का चिल्ला बाॅर्डर का रात 11 बजे खोल दिया गया है। ये कवायद चिल्ला बार्डर पर धरने पर बैठे किसानों के पदाधिकारियों की शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद हुई है। मुलाकात के दौरान किसानों ने अपनी 18 मांगों को रखा था। किसानों को मांगों के संबंध में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था। पुलिस और किसान मिल कर नोएडा-दिल्ली का चिल्ला बाॅर्डर पर लगे बैरिकेटिंग को हटाया और शनिवार देर रात पूरी तरह से खोल दिया गया। देर रात करीब दस बजे नोएडा से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर लगे आधे बैरीकेड हटाए गए थे, रात 11 बजे इस मार्ग पर लगे सभी बैरीकेड हटा दिए गए, जिसके बाद दिल्ली जाने के लिए वाहन चालकों ने इस मार्ग का प्रयोग शुरू कर दिया। अब तक दिल्ली जाने के लिए वाहन चालकों को डीएनडी और कालिंदी कुंज होकर जाना पड़ रहा था। दिल्ली से नोएडा की तरफ आने वाला मार्ग पहले से खुलाहुआ था।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आंदोलनरत किसानों के साथ चिल्ला बार्डर पर रास्ता खोला तो संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने अनशन शुरू कर दिया है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता ने इस्तीफा दे दिया। भाकियू (भानु गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह का यह फैसला संगठन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप को रास नहीं आया और उन्होंने अपने ही अध्यक्ष के सामने मोर्चा खोल दिया। योगेश प्रताप रविवार की सुबह आमरण अनशन पर बैठ गए। मौके पर ही पूजा पाठ भी शुरू हो गया। बातचीत में योगेश प्रताप ने कहा कि अगर नए कृषि कानून को वापस नहीं लिया गया तो यहां से वह मर कर ही उठेंगे। जबकि बीकेयू (भानु) के राष्ट्रीय महासचिव महेंद्र सिंह चैरोली और राष्ट्रीय प्रवक्ता सतीश चैधरी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय से आहत हो इसे किसानो कौम के खिलाफ गद्दारी मानते हुए इस्तीफा दे दिया है।

सोमवार को भूख हड़ताल पर बैठे राकेश टिकेत ने कहां किसानो और संघ के बीच कोई मतभेद और दरार नहीं हैं वे भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) के 3 नेताओं के अपने इस्तीफे से नाराजगी की अपनी वजह से दी हैं इस्तीफा देने वालो ने कहां की भानु प्रताप पर सरकार से समझौता करने का आरोप हैं। इन्होने भानु प्रताप से पूछा हैं की सरकार से समझौता क्यों किया हैं। उन्होंने कहां की किसान कृषि कानून के वापस हो जाने तक पीछे नहीं हटेंगे।

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