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चार दिन में तीन फर्जी कॉलसेंटर पकडे; नॉएडा पुलिस

 

नॉएडा एक औद्योगिक क्षेत्र है। यहां तमाम तरह की कंपनियां राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर काम करती हैं, लेकिन समय-समय पर यहां चल रही फर्जी कंपनियों की एक लम्बी लिस्ट बन चुकी है , इस लिस्ट में हालही में कुछ और नाम भी शामिल हुए हैं। चार दिन पहले से चल रही छापेमारी में नॉएडा पुलिस और स्पेशल टास्क फाॅर्स के द्वारा तीन फर्जी कॉल सेंटरों का खुलासा किया गया है। यह कंपनियां अमेरिका से फर्जीवाड़ा कर मनी लॉन्ड्री किया करती थी। इस बता का खुलासा तब हुआ जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी एक विदेशी युवक के द्वारा शिकायत की गई।

 

यह फर्जी कंपनियां अमेरिका का सोशल सिक्योरिटी नंबर लेकर उनसे ठगी करने वाले एक फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा एसटीएफ व नोएडा पुलिस ने किया है। 9 नवंबर 2023 को पुलिस की टीम ने नॉएडा के फेज वन क्षेत्र में छापेमारी कर 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ ने बिसरख क्षेत्र में जिस कॉल सेंटर का खुलासा शनिवार को किया था। उसी से यह कॉल सेंटर भी जुड़ा हुआ है। इस कॉल सेंटर से पुलिस के द्वारा एक कार, 18 मोबाइल और 26 मॉनीटर समेत अन्य सामान बरामद किये गए हैं।

अमेरिकी नागरिक डेवन ने यूपी पुलिस से शिकायत कर बताया कि उनके बैंक ऑफ अमेरिका के खाते से हांगकांग के एएचएसबीसी के अकाउंट में रकम ट्रांसफर किया गया है और इसका लिंक नोएडा से भी है। इसके बाद एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा के नेतृत्व में टीम ने जांच की तो नोएडा के सेक्टर-3 में एक फर्जी कॉल सेंटर का पता चला। जांच में जानकारी मिली कि नीतिन श्रीवास्तव और उनका साथी दिव्य शर्मा कई अन्य लोगों को जोड़कर व्यापक स्तर पर अमेरिकी नागरिकों से ठगी कर रहे हैं। इसके बाद यूपी पुलिस एक्शन में आ गई और इन कॉल सेंटर्स का पता लगाया।

एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि ‘यह आरोपी अमेरिकी नागरिकों का डाटा जैसे सोशल सिक्योरिटी नंबर, नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि डार्क वेब के माध्यम से खरीदते थे। फिर वाइट पेजेज वेबसाइट से इन मोबाइल नंबरों से अमेरिकी सर्विस प्रोवाइडर की जानकारी इकठ्ठा करते थे। इसके बाद जालसाज अपने नोएडा स्थित कॉल सेंटर से मोबाइल धारक को उसी सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से फर्जी कॉल कर उसका पीआईएन नंबर पूछ लेते थे। इतनी जानकारी एकत्र करने के बाद फिर कॉल सेंटर से सर्विस प्रोवाइडर को धारक बताकर कॉल करते थे और पीआईएन नंबर बता कर नया मोबाइल, सिम आदि बुक करा लेते थे। नए मोबाइल, सिम की डिलिवरी अमेरिका के किसी फर्जी पते पर मंगा लेते थे। वहां गिरोह के जुड़े अमेरिकी एजेंट उसे प्राप्त कर लेते थे। इसके बाद अमेरिकी एजेंट उसी नंबर से कई तरह के लोन ले लेते थे। इस तरह ये जालसाज करोड़ों रुपये की जालसाजी अमेरिकी नागरिकों से किया करते थे।

यूएसए से हांगकांग फिर हवाला से पैसा जालसाजों के पास पुलिस की जांच में पता चला है कि जब आरोपी फर्जीवाड़ा कर अमेरिकी नागरिकों के नाम से लोन करा लेते थे। लोन कराये हुए पैसे को अमेरिकी बैंक से हांगकांग के बैंक में ट्रांसफर कर लेते थे। इसके बाद वहां से हवाला, बिटकॉइन आदि के माध्यम से रकम जालसाजों तक पहुंचता था। इसके बदले में कमीशन देते थे। वहीं कुछ पैसे अलग अलग पेमेंट मोड से भी इन आरोपियों के पास आते थे।

गिरफ्तार आरोपी

सूरजपुर निवासी दिव्य शर्मा उर्फ लवकुश, जामिया नगर निवासी सबी अहमद, जेजे कॉलोनी निवासी दीपू कुमारी, छलेरा निवासी उपासना व अमित कुमार, सदरपुर निवासी विपुल कुमार, सेक्टर-12 निवासी सुमित, बदायूं निवासी श्रेया, दिल्ली निवासी सोनी कुमारी, खजूरी खास निवासी काज मिश्रा, न्यू अशोक नगर निवासी तुषार वाष्र्णेय, बिहार निवासी तमन्ना, वैशाली निवासी सुहैल रजा,गाजियाबाद निवासी देवेंद्र सिंह व उद्दयान और बरेली निवासी वीरेश माथुर।

कौन है मास्टरमाइंड

इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड नितिन श्रीवास्तव है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। अभी नोएडा के सेक्टर-3 में चल रहे इस फर्जी कॉल सेंटर का कामकाज गिरफ्तार दिव्य शर्मा कर रहा था। 28 वर्षीय दिव्य शर्मा दिल्ली से इतिहास में स्नातक है। दिव्य की मां लीना शर्मा वर्ष 2012 में प्रॉपर्टी का काम करती थी। उस समय नितिन भी प्रॉपर्टी का काम करता था। इसी क्रम में नितिन और लीना के बीच जान पहचान हो गई। इसके बाद मां की जान पहचान के कारण दिव्य भी नितिन के संपर्क में आ गया। नितिन प्रॉपर्टी के काम के साथ फर्जी कॉल सेंटर संचालित करने का भी काम किया करता था। बीते शुक्रवार को सबसे पहले फेज वन क्षेत्र में फिर शनिवार को बिसरख क्षेत्र में कॉल सेंटर का खुलासा किया गया। बिसरख क्षेत्र में चल रहे कॉल सेंटर से ही सेक्टर-3 में चलने वाले फर्जी कॉल सेंटर का पता चला। इसके बाद पुलिस ने रविवार को सेक्टर-3 में इस फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया है। इन फर्जी कॉल सेंटर्स से एक कार, 18 मोबाइल, 26 मॉनिटर, 26 सीपीयू, 26 माउस, 26 हेडफोन, 1 हार्ड डिस्क, अमेरिकी नागरिकों के 17 डीएल, 17 अमेरिकी नागरिकों का डाटा, रॉ कॉलिंग डाटा प्रिंट बरामद किये गए हैं।

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