देश में जहां एक ओर चारों तरफ फिर से कोरोना के प्रकोप से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ चुनावी राज्यों में कोरोना को लेकर लापरवाही और पिछले एक हफ्ते से लगातार एक लाख से ज्यादा नए मामलों के आने से कहा जा रहा है कि सरकार कोरोना के प्रभाव को रोकने में विफल साबित हुई है। 24 घंटे में इस महामारी से 1 लाख 68 हजार 912 लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि 904 लोगों की मौत हो गई है।इससे संक्रमितों की कुल संख्या 1 करोड़ 35 लाख 27 हजार 717 पहुंच गई है जबकि अब तक 1 लाख 70 हजार 179 लोगों की मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और गुजरात में सर्वाधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं। अकेले महाराष्ट्र में 63 हजार से ज्यादा केस पाए गए हैं, जो राज्य में एक दिन में सामने आए मामलों की सबसे बड़ी संख्या है।
महाराष्ट्र में संक्रमित 34 लाख के पार
महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 34 लाख को पार कर गई है। कल 11 अप्रैल को सर्वाधिक 63 हजार 294 नए मामले मिले और 349 लोगों की मौत भी हो गई। महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 15 हजार 353, दिल्ली में 10 हजार 774 और कर्नाटक में 10 हजार 250 नए मामले मिले हैं। जबकि, महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में 122, उत्तर प्रदेश में 67, पंजाब में 59, गुजरात में 54 और दिल्ली में 48 और लोगों की मौत भी हुई है।
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कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद महाराष्ट्र में लॉकडाउन को लेकर सहमति बनती दिख रही है और इस पर आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला किया जा सकता है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए आपात बैठक बुलाई है।
महाराष्ट्र में 14 अप्रैल से लग सकता है लॉकडाउन
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार लॉकडाउन पर जल्द फैसला ले सकती है। आज महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक होनी है, जिसमें लॉकडाउन पर फैसला लिया जा सकता है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि महाराष्ट्र में 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन लागू किया जा सकता है।
अरविंद केजरीवाल ने भी बुलाई अहम बैठक
दिल्ली में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद केजरीवाल सरकार भी अलर्ट हो गई है और हालातों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में दिल्ली में बढ़ते कोरोना केस की रोकथाम के लिए एक्शन प्लान, वैक्सीनेशन की मौजूदा स्थिति, कंटेनमेंट जोन और अस्पतालों में बेड प्रबंधन को लेकर समीक्षा होगी।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच ‘वैक्सीन पॉलिटिक्स’ शुरू
कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच ‘वैक्सीन पॉलिटिक्स’ शुरू हो गई है। पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने यह कहा कि राज्य में कोरोना टीके की भारी किल्लत है और जल्द ही आपूर्ति न हुई तो टीकाकरण रोकना पड़ेगा। तो वहीं, अब ओडिशा और राजस्थान ने भी केंद्र से मदद मांगी है। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री ने जहां कहा है कि राज्य में अब सिर्फ अगले दो दिनों के लिए ही टीके का स्टॉक बचा है तो वहीं, राजस्थान में वेंटिलेटरों की किल्लत सामने आई है।
दिल्ली में कोरोना वैक्सीन की कमी
दिल्ली में भी वैक्सीन स्टॉक की कमी का दावा किया जा रहा है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में भी वैक्सीन स्टॉक ख़त्म होने की बात कही है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के अस्पतालों में टीका लगाने की रफ्तार धीमी है। केंद्र के अस्पतालों में सिर्फ 30 से 40 फीसदी वैक्सीन लगाई गई है। इसी वजह से दिल्ली में आंकड़े कम दिख रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह वक्त राजनीति करने का नहीं है बल्कि एक साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ लड़ने का है।
राजस्थान को मिले खराब वेंटिलेटर
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से राज्य को 1000 वेंटिलेटर भेजे गए थे लेकिन इन्होंने दो-ढाई घंटे बाद ही काम करना बंद कर दिया। सीएम गहलोत ने समीक्षा बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था। केंद्र को इसकी जानकारी होनी चाहिए थी और हमने उन्हें सूचित कर भी दिया है। इसमें कोई राजनीति नहीं है, हम उन्हें तकनीकी खामी के बारे में बता रहे थे।
कोरोना से भी भयंकर हुआ चुनावी हार का डर , रैलियों में उमड़ रही भीड़
देश में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों ने इस कदर पूरी ताकत झोंक डाली है कि नेताओं और कारकर्ताओं में कोरोना का जरा भी भय नहीं रहा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सभी राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेताओं की रैलियों का प्रचार – प्रसार जोरों पर है। पश्चिम बंगाल 17 अप्रैल को पांचवे चरण के तहत चुनाव होने हैं।
सुप्रीम कोर्ट पर भी कोरोना की मार
देश में बेकाबू हुई कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है। जहां एक ओर देश में कोरोना के नए केस को लेकर हर दिन रिकॉर्ड टूट रहे हैं। वहीं अब कोरोना का प्रकोप देश की सर्वोच्च अदालत में भी दिखाई दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से अधिक कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। इसके बाद फैसला किया गया है कि आज 12 अप्रैल से सुप्रीम कोर्ट के सभी जज अपने निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करेंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट को सैनिटाइज किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले आने के बाद कोर्ट रूम समेत पूरे अदालत परिसर को सैनिटाइज किया जा रहा है, इसके चलते आज सभी बेंच निर्धारित समय से एक घंटा देरी से बैठेंगी।
छह महीने बाद 900 से ज्यादा मौतें
देश में नए संक्रमितों के साथ मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक कल 11 अप्रैल को देशभर में इस महामारी से 1 लाख 68 हजार 912 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 904 लोगों की मौत हुई है।यह पिछले 6 महीने में एक दिन में जान गंवाने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले पिछले साल 17 अक्तूबर को सबसे ज्यादा 1हजार 32 लोगों की मौत हुई थी।
अब तक 1.35 करोड़ लोग संक्रमित
देश में अब तक 1 करोड़ 35 लाख 25 हजार 379 से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 1 करोड़ 21 लाख 53 हजार लोग ठीक हो चुके हैं। 1 लाख 70 हजार 179 मरीजों की मौत हो गई।
1.70 लाख दैनिक मामलों वाला भारत इकलौता देश
दुनिया भर में नए कोरोना मरीज मिलने के मामले में अमेरिका और ब्राजील को पीछे छोड़कर भारत पहले नंबर पर आ गया है। कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे नंबर पर ब्राजील और तीसरे नंबर पर भारत था। अब ब्राजील को पीछे छोड़ भारत दूसरे नंबर पर आ गया है। बता दें कि दुनिया भर में भारत इकलौता देश है, जहां फिलहाल डेढ़ लाख से ज्यादा नए कोरोना मरीज मिल रहे हैं।
अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए मोहताज लोग
कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते अस्पतालों में न सिर्फ बीएड की कमी हो गई है बल्कि इसके इलाज में प्रभावी दिखे जाने वाली एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की मांग भी बढ़ गई है।देश के कई हिस्सों से इसके कालाबाजारी और जमाखोरी की खबरें आ रही हैं। घरेलू बाजार में इसकी कमी न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इसकी मांग बढ़ने के चलते लिया गया है। इस आदेश के मुताबिक भारत सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन और रेमडेसिवीर एपीआई के निर्यात पर तब तक प्रतिबंध लगा दिया है, जब तक देश में स्थिति नहीं सुधरती है।
जानिए क्या है रेमडेसिविर दवा
रेमडेसिविर एक एंटी वायरस दवा है। इसका डेवलपमेंट हेपटाइरिस सी के इलाज के लिए हुआ था , लेकिन बाद में इबोला वायरस के इलाज में इसका उपयोग किया गया। कोरोना वायरस के इलाज में प्रयुक्त शुरूआती दवाओं में रेमडेसिविर भी शामिल थी जिसकी वजह से यह दवा मीडिया की सुर्खियों में रही , हालांकि पिछले साल नवंबर में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टरों को रेमडेसिविर के इस्तेमाल से बचना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दावों के उलट दवा बनाने वाली कंपनी ने रेमडेसिविर के पक्ष में दलील देते हुए कहा था कि यह दवा कोरोना के इलाज में कारगर है।