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संकट में कांग्रेस 

 

अगले तीन महीनों में तीन अहम राज्यों, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। कांग्रेस इन राज्यों में बीजेपी से मुक़ाबला करने की हालत में भी नहीं है।  राहुल गांधी के इस्तीफ़े के बाद पार्टी के भीतर कलह  और बढ़ गया है। पुरानी पीढ़ी और युवा नेताओं जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा और सचिन पायलट के बीच जंग अब खुलकर सामने आ गई है। हो सकता है कि कांग्रेस में फूट ही पड़ जाए।

पश्चिमी यूपी में हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफ़ा दे दिया। वहीं, मिलिंद देवड़ा ने मुंबई में हार पर इस्तीफ़ा दे दिया।दोनों ही नेता राहुल गांधी के समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं।  इन नेताओं के निशाने पर असल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत हैं। गहलोत तो अपने राज्य राजस्थान में पार्टी को 25 में से एक भी सीट नहीं जिता सके थे। कमलनाथ सिर्फ़ अपने बेटे को जिता पाए।

वर्तमान में यद्पि  पूरा गांधी परिवार सक्रिय राजनीति में है नेताओं में आपसी रार चरम पर है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी की जगह किसी, ‘युवा और तेज़-तर्रार’ नेता को अध्यक्ष बनाने की वकालत करके पार्टी के भीतर सियासी हलचल को खुले में लाकर रख दिया है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में पुरानी पीढ़ी के नेताओं का दबदबा है, वो सभी अमरिंदर सिंह से ख़फ़ा हैं।

खबर है कि प्रियंका गांधी, राहुल गांधी के इस्तीफ़े के सख़्त ख़िलाफ़ थीं. अगर वो भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे देती हैं, तो कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों का बने रहना मुश्किल हो जाएगा।

पार्टी के भीतर इस बात की बड़ी चर्चा है कि सचिन पायलट को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। संकट लेकिन यह है कि तीनों राज्यों में चुनाव इस वर्ष होने जा रहा है ,उनमें से हरियाणा में कांग्रेस की स्तिथि बेहद खराब है।पूर्व सीएम भुपिंदर हुड्डा चाहते हैं कि उन्हें सीएम प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ा जाए लेकिन वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर समेत अधिकांश बड़े नेता इस पर सहमत नहीं।हैं। अपनी उपेक्षा से खिन्न हुड्डा के पार्टी छोड़ने की बात सुनी जा रही है। कुल मिलकर राहुल गांधी के इस्तीफे ने पार्टी को हाल -फिलहाल में पार्टी कोभारी संकट में ला खड़ा किया है। यदि कांग्रेस वर्किंग कमेटी अध्यक्ष पद को लेकर शीघ्र निर्णय नहीं लेती तो बहुत सम्भव है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी को दो फाड़ का मुंह देखना पड़े। महत्वाकांक्षी नेता सचिन पायलट ने खुलकर इशारे किए हैं कि वो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. क्योंकि, पायलट का मानना है कि ये पद उनसे छीनकर अशोक गहलोत को दे दिया गया था।

राजस्थान के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता कहते हैं कि, “अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालना चाहिए. वो लोकप्रिय दलित नेता हैं.”अशोक गहलोत कांग्रेस की सांप-सीढ़ी वाली इस सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं।  वो पद छोड़ने को राज़ी नहीं हैं। अशोक गहलोत ने तो सार्वजनिक रूप से कहा था कि राहुल गांधी के इस्तीफ़े ने कांग्रेस में सभी कांग्रेसियों को प्रेरित किया है। लेकिन, वो ख़ुद इस्तीफ़ा देने को प्रेरित नहीं हुए।

राहुल गांधी चाहते थे कि उनके साथ कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी नेता इस्तीफ़ा दे दें, लेकिन, किसी ने ऐसा नहीं किया इस बात से वो बेहद ख़फ़ा दिखते हैं। इससे राहुल गांधी को अंदाज़ा हो गया कि जिस कामराज-2 प्लान को उन्होंने तैयार किया था, वो नाकाम हो गया है. और इसके पीछे कांग्रेस के वो वरिष्ठ नेता हैं, जो बिना किसी जवाबदेही के पद चाहते हैं।

ऐसे में कांग्रेस में फूट पड़ने की आशंका साफ़ तौर से दिख रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद शायद ऐसा हो भी जाए।  नेतृत्वविहीन कांग्रेस भीतर ही भीतर बिखर रही है।

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