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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ का जादू अब टूटने लगा है। किसान आंदोलन के चलते भाजपा को पंजाब एवं हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में भारी नुकसान होता नजर आने लगा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 22 लोकसभा सीटों में से भाजपा आगरा, अलीगढ़, उन्नाव, बदायंू, बरेली, बुलंदशहर, एटा, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हाथरस, कैराना और मेरठ पर विजयी रही थी। पांच सीटें सपा-बसपा गठबंधन को मिली तो इस क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया था। किसान आंदोलन ने लेकिन इस क्षेत्र का माहौल पूरी तरह एन्टी भाजपा कर दिया है। 27 जनवरी की शाम जिस तरीके से गाजीपुर बाॅर्डर पर धरना दे रहे किसान नेता राकेश टिकैत को हटाने का प्रयास यूपी सरकार ने किया, जिस अंदाज में टिकैत फूट-फूटकर रोए, उसका बड़ा असर इलाके के किसानों पर पड़ा है। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद किसान भी हिन्दू-मुसलमान में बंट गए थे। जिसका लाभ 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिला था। अब लेकिन धर्म के नाम पर हुआ विभाजन पटने लगा है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चैधरी की सभाओं में उमड़ रही भीड़ स्पष्ट इशारा कर रही है कि मोदी- योगी का जादू कम हो चला है।

प्रियंका गांधी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर रही हैं। सहारनपुर, बिजनौर, मुज्जफरनगर और मथुरा में किसान महापंचायत में भाग ले चुकी प्रियंका का टारगेट गुर्जर-जाट बाहुल्य इलाके में पार्टी को मजबूत करना है। दूसरी तरफ रालोद नेता जयंत चैधरी भी अपनी खोई जमीन पाने के लिए जबरदस्त मेहनत करने में जुट गए हैं। उनकी सभाओं में भी भारी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं। भाजपा के भीतर इस सबके चलते भारी बेचैनी का माहौल है। हताश हो रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को सहारा देने के लिए क्षेत्र के दौरे पर निकले केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान को जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। सूत्रों की मानें तो प्रदेश भाजपा का एक बड़ा हिस्सा जनता की बढ़ती नाराजगी के लिए मुख्यमंत्री योगी की कार्यशैली को जिम्मेदार मान रहा है। प्रदेश संगठन सीएम योगी का नौकरशाहों पर निर्भर रहने और सांसदों और विधायकों से न के बराबर संवाद रखने के चलते बहुत नाराज चल रहे हैं। खबर है कि संगठन में बढ़ रही बेचैनी को भांप पार्टी आलाकमान ने पूर्व आईएएस अफसर अरविंद कुमार शर्मा को जान बूझकर एमएलसी बना उत्तर प्रदेश भेजने का निर्णय लिया। अब ऐसे सारे असंतुष्टों को मनाने और उनकी समस्याओं को केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाने का काम अरविंद शर्मा को दे दिया गया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री आदित्यानाथ, शर्मा के बढ़ते कद और दबदबे से खासे असहज हो चले हैं।

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