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हाथ में फैक्चर, 6 पसलियां टूटी फिर भी मरीजों को दवाई दे रहें दीपक शर्मा

हाथ में फैक्चर, 6 पसलियां टूटी फिर भी मरीजों को दवाई दे रहें दीपक शर्मा

22 मार्च की शाम 5 बजे जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर देशभर में ताली और थाली बजी थी तब लोगों ने सोचा कि शायद यह कोरोना भगाने के लिए किया गया प्रोपेगेंडा होगा। लेकिन इसी के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा था कि यह ताली और थाली उन लोगों के सम्मान में बजाई गई जो मरीजों की सेवा कर रहे हैं। यानी कि पुलिस और चिकित्सक।

आज जिस तरह से पुलिसकर्मी और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पीड़ितों की निस्वार्थ सेवा में लगे हैं उससे यह साबित होता है कि भारत में अभी भी इंसानियत जिंदा है। हालांकि, कुछ लोग यह कह कर भी कुतर्क कर सकते हैं कि वह तो अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। लेकिन ऐसे समय में जब कोरोना संदिग्ध लोगों को उनके परिजन तक हाथ तक नहीं लगा रहे हैं। ऐसे में चिकित्सक और पुलिसकर्मी उन्हें हॉस्पिटल में ले जाकर दिन रात उनकी सेवा में लगे हुए हैं।

आज जब मैं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के गांव बादलपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा तो वहां एक डॉक्टर ने मुझसे दोषपूर्ण लहजे में कहा कि आप पत्रकार लोगों को हम चिकित्सकों का दुख दर्द तो दिखाई नही देता है। इस समय हमारे हॉस्पिटल में एक ऐसे स्वास्थ्मी कर्मी ड्यूटी दे रहे हैं जो एक्सीडेंट के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यही नहीं बल्कि उनके हाथ में फैक्चर होने तथा सीने की छह छह पसलियां टूट जाने के बावजूद भी वह निरंतर हॉस्पिटल में आकर मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।

पहले तो मुझे चिकित्सक की इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। लेकिन जब उन्होंने पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी को मेरे सामने बुलाया तो मैंने देखा कि उनके हाथ में प्लास्टर चढ़ा हुआ था और वह दर्द से कराह रहे थे। हालांकि, उनकी यह दर्द की कराह अंदर ही घुट कर रह गई थी। उनके इस दर्द को मैंने जाना और उनसे पूरा वाक्या पूछा।

ग्रेटर नोएडा के धर्मपुरा खेड़ा निवासी दीपक शर्मा के अनुसार वह कुछ दिन पहले अपनी बाइक पर सवार होकर हॉस्पिटल जा रहे थे। तभी उन्हें पीछे से एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी । इसके बाद वाहन चालक दीपक शर्मा को घायल अवस्था में छोड़कर भाग गया। बाद में एक कार कंपनी में मैनेजर सरजीत नागर ने दीपक शर्मा को हॉस्पिटल पहुंचाया। जहां उसका प्लास्टर कर दिया गया। साथ ही हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने दीपक शर्मा को घर में ही रहकर आराम करने को कहा।

लेकिन ऐसे समय में जब देश में कोरोना जैसी महामारी ने इंसानियत को अपने शिकंजे में कसा हुआ है। दीपक शर्मा ने घर बैठना मुनासिब नहीं समझा। वह अपने परिवार के लोगों की मदद से हाथ में प्लास्टर करा कर हॉस्पिटल आने लगे। तब से लेकर अब तक दीपक शर्मा का लगातार बादलपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रोजाना आना तय है।

वह कहते हैं कि ऐसे समय में भगवान कभी-कभी इंसान की परीक्षा भी लेते हैं। शायद भगवान मेरी परीक्षा ले रहे थे। लेकिन इस परीक्षा में मुझे सफल होना है और क्षेत्र में फैल रही बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए हर दिन हॉस्पिटल आना है। जब उनसे पूछा गया कि सीने के छह पसलियां टूट जाने के बाद भी उनको दर्द नहीं हो रहा होगा, तो उन्होंने कहा कि दर्द तो बहुत होता है लेकिन दर्द निवारक दवा खाकर और उन लोगों के चेहरों पर सकून देखकर दर्द खत्म हो जाता है जो हॉस्पिटल आकर मेरे हाथ से दवाई लेते हैं और ठीक हो जाते हैं।

गौतम बुद्ध नगर जिले के दादरी क्षेत्र में आज हर कोई दीपक शर्मा की इस जिंदादिली का कायल हो गया है। बादलपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में फार्मसिस्ट दीपक शर्मा आज मिसाल बन गए हैं। एकबार फिर ताली और थाली बजाकर उनके जज्बे और जुनून को सेल्यूट।

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