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वैवाहिक विधेयक पर मांगा तीन महीने का विस्तार

विवाह के कानून में बदलाव लाने के लिए पिछले वर्ष संसद में पेश लिए गए विधेयक पर विचार करते हुए भाजपा सांसद विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक की जांच के लिए अपने कार्यकाल के बाद भी तीन महीने के विस्तार की मांग की है।

 

जिसकी अंतिम तारीख 24 जनवरी है ।  समिति ने आज अपनी बैठक में विस्तार की मांग करने पर सहमति व्यक्त की है जो राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से इसकी मंजूरी की मांग करेगी। क्यूंकि इस विधेयक पर काफी बैठकों में विचार विमर्श करने के बाद भी संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करने से पहले अभी भी बड़ी संख्या में परामर्श करना बाकी है।

क्या है विधेयक का उद्देश्य

 

बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक संसद के सामने साल 2021 में पेश किया गया था। जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच भेदभाव को कम करने के लिए लाया गया था। इस विधेयक तहत विवाह की आयु को सभी के लिए 21 वर्ष करने की मांग करते हुए बाल ‘विवाह निषेध अधिनियम, 2006’ के विधेयक में संशोधन की मांग की गई।

क्या है विधेयक का उद्देश्य 

 

 

जिसके तहत महिलाओं की  शादी कि उम्र 18 वर्ष और पुरुषों की शादी की उम्र 21 वर्ष निर्धारित की गई थी। इस विधेयक के द्वारा भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872; पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936; द मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937; विशेष विवाह अधिनियम, 1954; हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 में शादी की उम्र से संबंधित कानूनों में परिणामी संशोधन की मांग की गई है। जिससे इस संशोधन की मांग संवैधानिक रूप से लैंगिक समानता लाने के लिए की गई है। क्योंकि व्यक्ति को संवैधानिक रूप से प्राप्त मौलिक अधिकार और राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के अनुसार भारत में लीग के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।  जिसके अनुसार यह विधेयक और कानून का रूप ले लेता है तो महिलाओं को पुरुषों को समान स्तर पर लाएगा। मातृ मृत्यु दर (एमएमआर), शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) को कम करने और पोषण स्तर में सुधार के साथ-साथ जन्म के समय लिंग अनुपात (एसआरबी) में वृद्धि की अनिवार्यताएं हैं।

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