शिवराज सरकार भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे का नाम बदलकर अब इसे प्रायोरिटी कॉरिडोर के तौर पर विकसित करेगी। 2018 में जब भाजपा राज्य की सत्ता में थी तो तब इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी।
उसके बाद कांग्रेस शासन में प्रोजेक्ट का काम रुका गया था। अब सत्ता परिवर्तन हुआ तो इस पर फिर से काम शुरु हो गया है। इस प्रोजेक्ट की लागत 5029 करोड़ रुपए है।
अटल बिहारी बाजपेयी की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चंबल प्रोग्रेस-वे और नर्मदा एक्सप्रेस-वे का नाम अटल बिहारी बाजपेयी के नाम से कर दिया है। अब इसे अटल प्रोग्रेस-वे के नाम से पुकारा जाएगा। विभागीय सूत्रों का कहना है कि ” पुराने सिक्सलेन प्रोजेक्ट के साथ ही प्रायोरिटी कॉरिडोर का बढ़ाया जा सकता है। यह 146.88 किमी लंबा होगा। इसमें 119.9 किमी एक्सेस कंट्रोल्ड रखने की बात है। भोपाल के बडझिरी से देवास के करनावद तक इसे बनाना है। जो भोपाल, रायसेन, सीहोर, और देवास के 124 गांवों से गुजरेगा। कुल 1253 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। इसमें सरकारी जमीन 35 हेक्टेयर और वन भूमि 158 हेक्टेयर है। कॉरिडोर में जमीन अधिग्रहण के लिए 500 से 600 करोड़ रुपए लग सकते हैं”।
पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया ” भोपाल-इंदौर निवेश के लिए बेहतर चंबल-प्रोग्रेस-वे का बजट हो गया है। भोपाल-इंदौर के बीच निवेश की बड़ी संभावनाएं हैं, इसलिए प्रायोरिटी कॉरिडोर को जल्द एक्सप्लोर करेंगे। शिवराज सिंह चौहान ने मप्र को नंबर बनाने के लिए हाल में चार दिवदसीय एक वेबिनार का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई विशेपज्ञों से बातचीत की थी।
हालांकि कांग्रेस सरकार में बड़े प्रोजेक्ट पर काम कम हुआ है। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद दोबारा रुकी हुई फाइलें दौड़ने लगी हैं।