सोनिया गांधी ने दोबारा कांग्रेस की कमान संभाल तो ली लेकिन पार्टी के भीतर चल रहा घात-प्रतिघात का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ युवा बनाम ओल्ड का मैच चल रहा है तो पुराने कांग्रेसियों का किसी न किसी बहाने पार्टी छोड़ना भी बदस्तूर जारी है। ताजा तरीन मामला मुंबई कांग्रेस के कृपाशंकर सिंह का है जिन्होंने गत् नौ सितंबर को कश्मीर मुद्दे को ढाल बना पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया। जौनपुर, उत्तर प्रदेश के कृपाशंकर सिंह की गिनती उन नेताओं में की जाती हैं जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में गैर मराठी होने के बावजूद बड़ी सफलता पाई। कभी एक दवा बनाने वाली कंपनी में मशीन आॅपरेटर का काम करने वाले कृपाशंकर सिंह ने दशकों पहले कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर अपनी राजनीति पारी को शुरू किया। जल्द ही उन्होंने एक बाहुबली के तौर पर अपनी पहचान स्थापित कर डाली। 2004 में राज्य में बनी कांग्रेस सरकार में उन्हें गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया। 2011 में वे मुंबई के कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। विवादों से कृपाशंकर सिंह का गहरा नाता रहा है। 2जी करप्शन केस में उनके बेटे का नाम मीडिया और जांच एजेंसियों के रडार पर रहा है। भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप उन पर लगते रहे हैं। इंफोर्समेंट ड्रायरेक्टर की जांच में बड़े स्तर पर बेनामी संपत्ति बनाने का मामला उजागर हुआ लेकिन कांग्रेस ने उन पर कोई कार्यवाही नहीं की। कृपाशंकर सिंह का असल बुरा वक्त 2012 में तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को सीधे आदेश दे डाला कि कृपाशंकर सिंह पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर मुंबई पुलिस कार्यवाही करे।
अब इन्हीं कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस को छोड़ने के लिए देशभक्ति का मार्ग चुना है। उनका कहना है कि
‘‘मेरे लिए राष्ट्र पहले है, बाकी सब बाद में। कश्मीर हमारा अंतरंग हिस्सा है। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को सही समय पर हटाा लेकिन कांग्रेस ने संसद में उसका विरोध कर मुझे आहत करने का काम किया। इसलिए मैं कांग्रेस छोड़ रहा हूं’’
हालांकि महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि कृपाशंकर सिंह का यह निर्णय जांच एजेंसियों के कसते शिकंजे से बाहर आने की एक कवायद भर है। इस बीच लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी में शामिल हुई बाॅलीवुड एक्ट्रेस उर्मिला मतोंडकर ने इससे पहले मुंबई प्रदेश कांग्रेस के नेताओं पर भीतरघात का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी है।