आम जनता को अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों, कोर्ट के आदेश और मुकदमे की तारीख की जानकारी मिलेगी। यह राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) द्वारा संभव बनाया गया है। अब तक देश भर की जिला अदालतें और उच्च न्यायालय इससे जुड़े हुए थे। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG ) से अब सुप्रीम कोर्ट भी शामिल हो गया है।
वर्तमान में देश की 18,735 से अधिक अदालतें NJDG से जुड़ी हुई हैं। इसका मतलब यह है कि अब कोई भी व्यक्ति अदालतों में लंबित मामलों की स्थिति जान सकता है। आप अपने मुकदमों के फैसले भी देख सकते हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि अब तक पर्दे के पीछे छुपी रही न्यायिक व्यवस्था में एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था लागू हो गई है, जिससे आम आदमी को संतुष्टि मिलेगी।
NJDG का लाभ कैसे उठाएं
NJDG के कार्यान्वयन ने पूरी न्यायपालिका को ऑनलाइन ला दिया है। अब कोई भी जान सकता है कि देश में कितने मामले लंबित हैं। क्या वह अपने मामले का नतीजा या सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा पारित आदेश भी जान सकता है? अगली तारीख क्या है? इसकी शुरुआत कई साल पहले हुई थी। धीरे-धीरे यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ा और अब यह अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है, यानी सुप्रीम कोर्ट भी इसके दायरे में आ गया है।
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आपको नियमित ऑर्डर पर भी मिलेगा अपडेट
भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ के इस फैसले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की है। न्यायालय के निर्णयों और यहां तक कि नियमित आदेशों को यहां प्रतिदिन अद्यतन किया जाना चाहिए। ऐसा हो भी रहा है। जहां भी गलतियां हो रही हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि काम में तेजी आयेगी। क्योंकि अब किसी भी जज के लिए यह छिपाना मुश्किल हो जाएगा कि उसके मामले में क्या चल रहा है? अब सिस्टम में बैठा कोई भी पर्यवेक्षक इसे देख सकता है।
देश में कितनी अदालतों की जरूरत
इसके लागू होने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अदालतों की मैपिंग से यह जानना आसान हो जाएगा कि देश में वास्तव में कितनी अदालतों की जरूरत है। इसका मतलब है कि जब भी केंद्र और राज्य सरकारों को नीतिगत फैसले लेने होंगे तो उन्हें मदद मिलेगी। विश्व बैंक ने शुरुआती दौर में इस भारतीय परियोजना की सराहना की है। देश में भूमि विवाद एक बड़ी समस्या है। इनका निस्तारण करने में काफी समय लग जाता है। इसकी जानकारी भी अब ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेगी।
4.44 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित
डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, NJDG से संबंधित वेबसाइट के माध्यम से मैं देख पा रहा हूं कि वर्तमान में देश की विभिन्न अदालतों में 4.44 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। जिनमें से 1.10 करोड़ मामले दीवानी और 3.33 करोड़ आपराधिक मामले हैं। इसी वेबसाइट का कहना है कि पिछले साल अदालतों में 2.75 करोड़ मामले लंबित हैं। इसमें दो करोड़ से अधिक आपराधिक और 66 लाख से अधिक दीवानी मामले हैं। 9,8771 मामले 30 साल से अधिक समय से लंबित हैं। पांच लाख से ज्यादा मामले 20 से 30 साल से लंबित हैं। आप वेबसाइट पर जितना अधिक खोजेंगे, आपको यहां उतनी ही ज्यादा जानकारी मिलेगी।