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आज भी करोड़ों लोग हैं आधुनिक गुलामी के शिकार

दुनिया में मानवों द्वारा बनाई कई जितनी भी प्रथाओं का अस्तित्व रहा है उनमें सबसे भयावह दास प्रथा रही है। मनुष्य के हाथों ही मनुष्य का ही बड़े पैमाने पर उत्पीड़न इस प्रथा के अंतर्गत होता रहा है। आधुनिक समय के साथ बहुत सी प्रथाएं खत्म हुए लेकिन दासता अभी भी जारी है। जिसे आधुनिक दासता कहा जाता है।

कहा जाता है कि सबसे अधिक मेहनत करता है लेकिन सबसे अधिक बदहाल स्थिति भी मजदूर की ही है। दुनिया का ऐसा एक भी देश नहीं है जहां मजदूरों की स्थिति में सुधार आया हो। यह हम नहीं बल्कि ‘द ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2023 यानी वैश्विक दासता सूचकांक की ताजा रिपोर्ट बता रही है। दुनियाभर में लगभग 5 करोड़ लोग आधुनिक दासता में जी रहे हैं।
कई प्रतिष्ठित कंपनियों में भी लोग गुलामों की तरह काम कर रहे हैं। मशीन बन गए हैं। पिछले 05 वर्षों में यह स्थिति 25 प्रतिशत बढ़ी है।
नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत समेत जी20 देश भी इससे अछूते नहीं हैं बल्कि मानव सभ्यता को इस तरह गुलाम बनाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। G20 देशों की सूची में भारत शीर्ष पर है। जहां 1.1 करोड़ लोगों की हालत बंधुआ मजदूरों जैसी है। इसके बाद चीन, रूस, इंडोनेशिया और तुर्की जैसे देशों का स्थान हैं।
वहीं वैश्विक स्तर पर सबसे बुरा हाल उत्तर कोरिया का है। जो ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स में सबसे ऊपर है। वहीं, अगर 1000 लोगों को पैमाना माना जाए तो आधुनिक गुलामी की दर 100 से ऊपर है। यूरोपीय देश सबसे अच्छी स्थिति में हैं। जहां ये स्थितियां बहुत कम दर्ज की गई हैं।
राइट्स ग्रुप वॉक फ्री फाउंडेशन ने मई के आखिरी हफ्ते में 160 देशों की ग्लोबल स्लेवरी लिस्ट जारी की थी। इसमें इस संस्था ने इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO), वॉक फ्री और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) द्वारा जुटाए गए डेटा की मदद ली। यह सूचकांक हमारी दुनिया की खतरनाक तस्वीर दिखाता है कि हमारी तरक्की इंसानों को बेहतर जीवन देने के बजाय उन्हें गुलाम बना रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जी20 देशों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के जरिए इस संकट को और गहरा किया है। इस रिपोर्ट के आंकड़ों की मानें तो ऐसा लगता है कि असमानता की खाई और गहरी होती जा रही है।
आधुनिक गुलामी में शोषण कई तरह से हो रहा है। इनमें जबरन श्रम, जबरन विवाह, ऋण बंधन, व्यावसायिक यौन शोषण, मानव तस्करी, गुलामी और बच्चों की बिक्री और शोषण जैसी प्रथाएं शामिल हैं। कुल मिलाकर यह मानवता के लिए खतरनाक है। मानव अधिकारों का उल्लंघन करता है, मानवीय गरिमा को कमजोर करता है और सामाजिक एकजुटता को नष्ट करता है।
आधुनिक गुलामी या दासता उन स्थितियों को संदर्भित करती है जहां उत्पीड़ित व्यक्ति धमकी, हिंसा, जबरदस्ती, धोखे या शक्ति के दुरुपयोग के कारण काम से इनकार करने या भागने में असमर्थ होता है। उसे मजबूरी में वह काम करते रहना पड़ता है और वह इसकी शिकायत किसी से नहीं कर पाता।
दुनिया के तमाम देशों की सरकारें मजदूरों के हित के लिए कई तरह की योजनाएं और सुविधाएं देने की बात करती हैं, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं होता, जिससे दशकों बाद भी मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं होता है। दुनिया के हर देश में आधुनिक गुलामी और जबरन शादी की घटनाएं होती रहती हैं। आधे से अधिक (52 प्रतिशत) बंधुआ मजदूर और एक चौथाई जबरन विवाह उच्च-मध्यम-आय या उच्च-आय वाले देशों में होते हैं।

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