विश्व में कोरोना की धीमी रफ्तार एक बार फिर बढ़ती जा रही है। इस संक्रमण से भले ही बड़े पैमाने पर बच्चे प्रभावित न हुए हों, मगर उनकी जिंदगी काफी हद तक बदल गई है। अब वे ज्यादातर समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं। शारीरिक गतिविधियां कम कर दी हैं और ज्यादा चिड़चिड़े रहने वाले हैं।
बाल दिवस से पहले मुंबई के भीतर किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। कोविड के बच्चों पर भावनात्मक और पोषण प्रभाव का पता लगाने के लिए यह सर्व किया गया था। शहर के तीन फोर्टिस अस्पतालों के डॉक्टर्स ने 7,670 पैरंट्स का इंटरव्यू किया।
राजधानी दिल्ली के एक निजी अस्पताल द्वारा एक महीने तक चले अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों का वजन बढ़ने लगा। अध्ययन में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक बच्चों का वजन अधिक था।
सर गंगाराम अस्पताल द्वारा 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक किए गए ऑनलाइन सर्वे के नतीजे शनिवार को घोषित किए गए। अस्पताल के अधिकारियों ने एक बयान में कहा कि महामारी के दौरान मोटापे के जोखिम को मापने के लिए सर्वेक्षण किया गया था।
बयान में कहा गया है, परिणाम चौंकाने वाले हैं। सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत से अधिक ने कहा कि उनके बच्चों ने 10 प्रतिशत प्राप्त किया है। यह ज्यादातर गतिहीन जीवन शैली और आसानी से उपलब्ध फास्ट फूड के कारण होता है। तनाव और असामान्य नींद-जागने के चक्रों के कारण खाने की आदतों में बदलाव आया है।
बयान के मुताबिक, 15 साल से ज्यादा उम्र के 1,309 बच्चों का सर्वे किया गया।