गत सप्ताह अडानी ग्रुप के संबंध में अमेरीकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद आया भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। रिपोर्ट के खुलासे के बाद अडानी के शेयर 20 से 25 प्रतिशत यानी अडानी की कुल संपत्ति 120.22 अरब डॉलर में से 36.1 अरब डॉलर की गिरावट के चलते अडानी साम्राज्य गहरे संकट में आ गया है। रिपोर्ट से पहले अडानी विश्व के अमीरों की सूची में चौथे नंबर पर स्थापित थे लेकिन अब ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के टॉप-10 अरबपतियों की सूची में वे 13वें स्थान पर पहुंच गए हैं
पिछले साल दुनिया के तमाम अरबपतियों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टॉप 3 अमीरों में शामिल रहे भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के लिए नए साल की शुरुआत खराब होती नजर आ रही है। गत सप्ताह अमेरिका से एक रिसर्च रिपोर्ट आई, जिसका अडानी के साम्राज्य पर इतना बुरा असर हुआ कि उनकी कुल संपत्ति का पांचवां हिस्सा महज दो दिन में ही साफ हो गया और अडानी के साम्राज्य पर गहरे संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
दरअसल, अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद गौतम अडानी की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। जहां एक तरफ गत सप्ताह 27 जनवरी को अडानी ग्रुप के शेयरों में 20 से 25 फीसदी तक की तगड़ी गिरावट आई वहीं दूसरी तरफ नेटवर्थ पर इसका बड़ा असर देखा गया है। फोर्ब्स बिलेनियर्स इंडेक्स के मुताबिक अडानी के नेटवर्थ में महज 24 घंटों में 17.38 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है। यानी एक ही दिन में करीबन 20 अरब डॉलर यानी (1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ है। जिसके चलते गौतम अडानी का नेटवर्थ 98.5 अरब डॉलर रह गया है। इसी के साथ अडानी अरबपतियों की लिस्ट में चौथे स्थान से खिसक कर 13वें पायदान पर पहुंच गए हैं।
क्या है हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट
25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। इसमें दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर से बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान इस समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं।
कई देशों में हैं मुखौटा कंपनियां
रिपोर्ट में मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स चोरी वाले देशों में अडानी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों के एक वेब का विवरण है। इसका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिग के लिए किया गया था। फंड की हेराफेरी भी की गई थी। शोध में अडानी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात करना, हजारों दस्तावेजों की समीक्षा करना और आधा दर्जन देशों में दौरा शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है। समूह की सात प्रमुख कंपनियों के मूल्य को देखें तो यह फंडामेंटल आधार पर मूल्यांकन से 85 फीसदी नीचे हैं। इन कंपनियों ने बड़े
पैमाने पर शेयर गिरवी रखकर कर्ज लिए हैं।
अडानी के शेयरों में 8 फीसदी तक की गिरावट
अडानी एंटरप्राइजेज .54 फीसदी
अडानी पोर्ट 6.30 प्रतिशत
अडानी पावर 4.99 प्रतिशत
अडानी ट्रांसमिशन 8 फीसदी
अडानी ग्रीन एनर्जी 3 फीसदी
अडानी टोटल गैस 3.61 फीसदी
अडानी विल्मर 5 फीसदी
अंबुजा सीमेंट 7.71 फीसदी
एसीसी सीमेंट 7.11 फीसदी
एनडीटीवी 4.99 फीसदी
रिसर्च फर्म ने दी चुनौती
अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी बयान में हिंडनबर्ग ने कहा है कि अगर अडानी समूह इस रिपोर्ट के खिलाफ अमेरिका की अदालत में मुकदमा दायर करता है तो रिसर्च फर्म दस्तावेजों की मांग करेगा। अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं। कानूनी खोज प्रक्रिया में हमारे पास दस्तावेजों की लंबी सूची है।
सेबी ने बढ़ाई अडानी के शेयरों पर निगरानी
मार्केट रेगुलेटरी सेबी ने पिछले एक साल में अडानी समूह द्वारा किए गए सौदों की जांच बढ़ा दी है। सोर्स के मुताबिक सेबी अब हिडनवर्ग रिसर्च द्वारा जारी रिपोर्ट को स्टडी करेगा और शुरुआती जांच कर सकता है। गौरतलब है कि अडानी ग्रुप के सभी शेयरों में बड़ी गिरावट आई है। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, अडानी विल्मर, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी टोटल, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पावर समेत सातों लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में लगभग 20 फीसदी तक की बड़ी गिरावट देखी जा रही है। इससे पहले जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आई थी, उस दिन भी शेयरों में भारी गिरावट देखी गई थी। शेयरों में गिरावट का आलम यह है कि दो कारोबारी दिन अडानी ग्रुप की कंपनियों का कुल मार्केट कैप लगभग 4 लाख करोड़ रुपए घट गया है।
अडानी ग्रुप ने दिया 413 पन्नों के जवाब
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा फैलाए गए आरोपों का 413 पन्नों के जवाब में प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ जवाब दिया है। अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया हिंडनबर्ग के गुप्त उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के खिलाफ भी सवाल उठाती है, जिसने भारतीय न्यायपालिका और नियामक ढांचे को आसानी से नजरअंदाज कर दिया है। अडानी ग्रुप की विस्तृत प्रतिक्रिया में इसके शासन मानकों, साख, सर्वोत्तम प्रथाओं, पारदर्शी आचरण, वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन और उत्कृष्टता को शामिल किया गया है।
अडानी ग्रुप ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट हमारे शेयरधारकों और सार्वजनिक निवेशकों की कीमत पर मुनाफाखोरी करने के स्पष्ट इरादे से बनाई गई है। यह एक हेरफेर करने वाला दस्तावेज है जो हितों के टकराव से भरा हुआ है और केवल गलत लाभ दर्ज करने के लिए प्रतिभूतियों में एक झूठा बाजार बनाने के उद्देश्य से है, जो स्पष्ट रूप से भारतीय कानून के तहत प्रतिभूति धोखाधड़ी का गठन करता है। दरअसल, हिंडनबर्ग द्वारा पूछे गए 88 प्रश्नों में से 68 उन मामलों से संबंधित हैं जो समय-समय पर मेमोरेंडम, वित्तीय विवरण और स्टॉक एक्सचेंज खुलासे की पेशकश करते हुए अपनी संबंधित वार्षिक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा विधिवत खुलासा किया गया है। 20 में से 16 प्रश्न सार्वजनिक शेयर धारकों और उनके धन के स्रोतों से संबंधित हैं।
अडानी : हिंडनबर्ग रिपोर्ट सोची-समझी साजिश
अडानी ग्रुप ने अपने बयान में कहा कि वह 24 जनवरी को ‘मैडाफ्स ऑफ मैनहट्टन’ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़कर हैरान और परेशान है, जो एक झूठ के अलावा कुछ नहीं है। अडानी ग्रुप ने कहा कि दस्तावेज चुनिंदा गलत सूचनाओं का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। यह रिपोर्ट निराधार और बदनाम आरोपों से संबंधित छिपे हुए तथ्यों को एक गुप्त उद्देश्य के लिए प्रेरित करता है। चिंता की बात है कि बिना किसी विश्वसनीयता या नैतिकता के हजारों मील दूर बैठी एक संस्था के बयानों ने हमारे निवेशकों पर गंभीर और अभूतपूर्व प्रतिकूल प्रभाव डाला है। यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास की कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है।
हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट को किसी परोपकारी कारणों से प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि विशुद्ध रूप से स्वार्थी उद्देश्यों से और लागू प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा कानूनों के खुले उल्लंघन में प्रकाशित किया है। इस मामले की सच्चाई यह है कि हिंडनबर्ग एक अनैतिक शॉर्ट सेलर है। सिक्योरिटीज मार्केट बुक्स में एक शॉर्ट सेलर शेयरों की कीमतों में बाद की कमी से लाभ प्राप्त करता है। हिंडनबर्ग ने ‘शॉर्ट पोजिशन’ ली और फिर शेयर की कीमत को प्रभावित करने और गलत लाभ कमाने के लिए, हिंडनबर्ग ने स्टॉक की कीमत में हेरफेर करने और उसे कम करने और एक झूठे बाजार बनाने के लिए एक दस्तावेज प्रकाशित किया है। तथ्य के रूप में प्रस्तुत किए गए आरोप और आक्षेप आग की तरह फैल गए, बड़ी मात्रा में निवेशकों की संपत्ति का सफाया हो गया और हिंडनबर्ग के लिए लाभ कम हो गया। जिसका परिणाम यह होता है कि सार्वजनिक निवेशक हार जाते हैं और हिंडनबर्ग अप्रत्याशित लाभ कमाता है।
हिंडनबर्ग : भारत एक जीवंत लोकतंत्र है इसमें कोई शक नहीं
अडानी समूह की ओर से दिए गए जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने कहा कि वह मानता है कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है, लेकिन अडानी समूह विकास की गाथा को बाधित कर रहा है। हिंडनबर्ग ने अडानी के आरोप को भी खारिज कर दिया है कि उसकी रिपोर्ट भारत पर हमला है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि ‘धोखाधड़ी’ को राष्ट्रवाद या उसमें लिपटी प्रतिक्रिया से प्रभावित नहीं किया जा सकता है। अडानी की ओर से दिए गए जवाब में प्रमुख आरोपों की अनदेखी की गई है।
सबसे ज्यादा दौलत गंवाने वालों की सूची में शामिल हुए अडानी
ब्लूमबर्ग ने करीब एक दशक पहले दुनिया के सबसे अमीर लोगों की संपत्ति का डाटा रखना शुरू किया था और तब से लेकर 27 जनवरी 2023 तक की अवधि में एशिया में किसी भी अमीर के लिए संपत्ति में यह सबसे बड़ी गिरावट है। ब्लूमबर्ग के अनुसार अडानी ने एक दिन में 20.8 अरब डॉलर की रकम गंवा दी, जो उनकी कुल नेटवर्थ का लगभग पांचवां हिस्सा है। नेटवर्थ में आई इस बड़ी गिरावट के चलते अडानी ग्रुप के चेयरमैन उन अमीरों की लिस्ट में आ गए, जिन्होंने महज एक दिन में सबसे ज्यादा दौलत गंवाई है।
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स
अरबपति का नाम एक दिन में घाटा
एलन मस्क 35 अरब डॉलर
मार्क जुकरबर्ग 31 अरब डॉलर
एलन मस्क 20.5 अरब डॉलर
गौतम अडानी 20.8 अरब डॉलर
जेफ बेजोस 25.8 अरब डॉलर
बैकफुट पर अडानी
अमेरिकी कंपनी शॉर्टसेलिंग हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद हिचकोले खा रहे गौतम अडानी बैकफुट पर आ गए हैं। उन्होंने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का 20 हजार करोड़ रुपए का किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) वापस लेने का फैसला लिया है। दरअसल, कंपनी ने पूरी तरह से सब्सक्राइब किए गए एफपीओ को रद्द कर कहा कि जिन निवेशकों ने अडानी ग्रुप के एफपीओ में पैसे लगाए थे, उन्हें जल्द ही रकम वापस कर दी जाएगी।
माना जा रहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप ने यह कदम उठाया है। इस बीच अडानी ने खुद इस एफपीओ को वापस लेने की वजह बताई है। अडानी ने एक बयान में कहा कि पिछले हफ्ते कंपनी के शेयर में काफी उतार-चढ़ाव के बावजूद एफपीओ सफलतापूर्वक बंद हुआ। कंपनी और उसके कारोबार के प्रति आपका भरोसा हमारा विश्वास बढ़ाने वाला है जिसके लिए हम आपके आभारी हैं। असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर कंपनी के बोर्ड ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा। निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है।