प्रगति की राह पर अग्रसर तमिलनाडु के एक गांव इरोड के सेंट्रल रोटरी क्लब ने राज्य के पहले ‘मोबाइल इलेक्ट्रिक शवदाह गृह’ की शुरुआत की है। जिसका उद्देश्य अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पर लगने वाली लागत को कम करना है। हालांकि देश के कई राज्यों में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है।
इरोड सेंट्रल रोटरी क्लब के एक कार्यकर्ता राजमनिक्यम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया है कि, इरोड में इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की लागत अधिक थी और लोगों को किसी प्रियजन के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए 15,000 रुपये खर्च करने पड़ते थे। इसमें शमशान शुल्क के रूप में 3,500 रुपये शामिल हैं और इसे इस महीने से बढ़ाकर 4,500 रुपये कर दिया जाएगा। जिसे कम करने के प्रयास में ही उन्होंने यह कदम उठाया है। उनका कहना है कि मोबाइल इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में अंतिम संस्कार में आने वाला खर्च केवल 7,500 रुपये होगा, जो बाकी इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में आने वाले खर्च से काफी कम है। राजमनिक्यम ने कहा है कि मशीन के कलपुर्जे केरल से खरीदे गए थे, जिसमें एक एम्बुलेंस और अन्य उपकरण शामिल थे। इरोड के एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता आर. वेलु स्वामी के अनुसार, ‘यह एक स्वागत योग्य कदम है और इसने दाह संस्कार की लागत को आधा कर दिया है।’
क्या है मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक शवदाह गृह
प्राचीन काल से ही किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसके मृत शरीर को जलाने या दफनाने की प्रक्रिया चली आ रही है। अंतिम संस्कार की इस प्रक्रिया को आज तक लोग उसी ढंग से निभाते आये हैं। लेकिन, कई वर्षों से लगातार बेहतर होती तकनीकी व्यवस्था के कारण बड़े परिवर्तन देखने को मिले हैं। मानव द्वारा की जाने वाली कई प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए अब लोगों के बदले मशीन का इस्तेमाल शुरू हो गया है। इस प्रकार अंतिम संस्कार के लिए भी अब ‘मोबाइल इलेक्ट्रिक शवदाह गृह’ की शुरुआत की जा चुकी है। मृत शरीर को भस्म करने के लिए इस मशीन में डाल दिया जाता है जिसमें विद्युत ताप के साथ 10 गैस सिलेंडर जितना ताप होता है। यह प्रक्रिया 2 घंटे तक चलती है। लेकिन इस समय सीमा को इरोड सेंट्रल रोटरी क्लब ने कम करने का दावा किया है। भारत के कई राज्यों में इस मशीन द्वारा दाह संस्कार करने की शुरुआत कोरोना काल से और तेज हो गई जब हजारों लोग एक ही दिन में मर रहे थे। मोबाइल शवदाह गृह के लिए एक टोल फ्री नंबर की शुरुआत की गई है।