मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में भारत के चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के खिलाफ 25 मई से जारी कार्यवाही के आधार पर 86 दलों को पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) की सूची से हटा दिया है। और 253 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों दलों को निष्क्रिय घोषित कर दिया है। जिसके बाद अब चुनावी नियमों का पालन न करने वाले राजनीतिक दलों की संख्या 339 से बढ़कर अब 537 हो गई है।
चुनाव आयोग ने बताया कि ‘‘पार्टियों को इसलिए निष्क्रिय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इन्होंने ‘‘उन्हें दिए गए पत्र / नोटिस का जवाब नहीं दिया है और न तो किसी राज्य की विधानसभा के लिए और न ही 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया है।” चुनाव आयुक्त के अनुसार इन 253 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विरुद्ध यह निर्णय सात राज्यों बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है।
पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कौन से हैं
पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल उन दलों को कहा जाता है जो चुनावी नियमों का पालन नहीं करते। अर्थात जो राज्यस्तरीय दल का दर्जा प्राप्त करने के लिए विधानसभा या आम चुनावों में पूर्ण मत हासिल नहीं कर पाते या वे सभी दल जो पंजीकृत हो चुके हैं लेकिन इसके बाद भी कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा । गैर मान्यता प्राप्त दलों में शामिल होने के बाद इन सभी राजनीतिक दलों को मान्यता प्राप्त दलों को दी जाने वाली सभी सुविधाओं और लाभों से वंचित रखा जाता है।
चुनाव आयोग के क्या कार्य हैं
चुनाव आयोग को निर्वाचन आयोग के नाम भी जाना जाता है। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। जिसका निर्वाचन आयोग का कई कार्य हैं जिनमें राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने एवं राजनीतिक दलों को विशेष चुनाव चिन्ह प्रदान करना प्रमुख है। साथ ही चुनाव आयोग आने वाले हर स्तर के सभी चुनावों का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन करवाते हैं। मतदाता सूची का निर्माण करने के साथ साथ यह भी सुनिश्चित करते हैं कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए हों।