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नेताओं के अपशब्दों पर चुनाव आयोग ने भी साधी चुप्पी

भारतीय राजनीति में महिलाओं पर कमेंट करना एक कल्चर बनता जा रहा है। न चुनाव आयोग का डर और ना ही पार्टी आलाकमान का। बस नेता बेबाकी से अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। पार्टी आलाकमान भी नेताओं के ऐसे बयानों को रोकने की बजाय दूसरी पार्टी के ऊपर दोष डाल देता है। इससे बोलने वाले की और हिम्मत बढ़ जाती हैं। और वह बिना किसी डर या भय से खुलेआम अपशब्दों का प्रयोग करते रहते है। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव होने वाले है। कांग्रेस और भाजपा नेता एक दूसरे पर शब्दों और सोशल मीडिया के जरिये हमला बोल रहे है। अपने दावों और चुनावी भाषणों में कब वह अपनी मर्यादा को भूल जाते है यह उन्हें खुद नहीं पता चलता।

हाल ही में कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डबरा से भाजपा की प्रत्याशी इमरती देवी को आइटम कहा था। जिसे लेकर प्रदेश में पूरा ड्रामा चला। बीजेपी नेता कमलनाथ के इस बयान पर मौन व्रत रखकर बैठ गए। ऐसा नहीं हैं कि केवल कांग्रेस नेता ही ऐसा कर रहे है बीजेपी वाले भी खुले में ऐसे अपशब्दों का प्रयोग कर रहे है। बीजेपी नेता बिसाहूलाल ने कांग्रेस प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह कुंजाम की पत्नी को रखैल बताया है। विश्वनाथ सिंह ने चुनाव आयोग में दिए हलफनामे में पहली पत्नी का नहीं, अपनी दूसरी पत्नी राजवती का जिक्र किया है। पहली पत्नी की मौत के बाद विश्वनाथ सिंह ने राजवती से शादी की थी।

महिलाओं के अलावा भारतीय चुनावों में समुदाय विशेष को लेकर भी निशाना साधा जाता है। खासकर भाजपा प्रत्याशी अपने चुनावी भाषणों में समुदाय विशेष पर न बोले यह हो नहीं सकता। क्योंकि उनके लिए अगर देश में कोई किसी बड़ी घटना के लिए जिम्मेदार है तो वह समुदाय विशेष है। मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने अपने भाषण में समुदाय विशेष पर तंज कसते हुए कहा कि ” सारा कट्टरवाद और सारे आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े हैं। जम्मू कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बनाकर रख दिया था। ऐसे मदरसे जो हमें राष्ट्रवाद और समाज की मुख्यधारा से नहीं जोड़ सकते, हमें उन्हें ही सही शिक्षा से जोड़ना चाहिए और समाज को सबकी प्रगति के लिए आगे लेकर जाना चाहिए”। असम हालांकि चुनाव नहीं है लेकिन राजनीतिक जानकार मान रहें हैं कि वहा की बहुसंख्यक को अपने पक्ष में जोड़ने के लिए मदरसों पर फोक्स किया जा रहा है।  मदरसों को बंद करने की बात हो रही हैं। असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वा ने अपने भाषण में मदरसों को बंद कर उन्हें स्कूलों और हास्पिटल में तबदील करने की बात तक कह दी हैं। उन्होंने कहा था कि “राज्य में सरकार द्वारा संचालित सभी मदरसों और संस्कृत केन्द्रों को बंद करने की अधिसूचना नवंबर में जारी की जाएगी। सरमा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मदरसा शिक्षा बोर्ड को भंग कर सरकार द्वारा संचालित सभी मदरसों को हाई स्कूलों में तब्दील कर दिया जाएगा। नियमित छात्रों की तरह सभी स्कूलों में दाखिले दिये जाएंगे”।

नेताओं के ऐसे बयानों पर चुनाव आयोग ने भी चुप्पी साधी हुई है। अभी तक चुनाव आयोग ने किसी भी प्रत्याशी को उनके अपशब्दों के लिए नोटिस तक नहीं जारी किया। मीडिया ने जब इस बाबत भोपाल स्थित निर्वाचन आयोग के सीईओ से बात कि तो उन्होंने उन्होंने साफ कर दिया कि ”सभी मामलों को दिल्ली में निर्वाचन आयोग के पास भेजा गया है, फैसला वहीं से होगा। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी मोहित बुंदस ने मीडिया को बताया कमलनाथ, बिसाहूलाल समेत तमाम नेताओं के संबंध में जो शिकायतें मिली हैं, उन्हें हेड ऑफिस भेजा गया है। कुछ शिकायतें सही मिलीं, कुछ गलत भी पाई गईं। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर कार्रवाई की जाएगी। यहां से कुछ नहीं हो सकता”।

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