भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही बड़े-बुजुर्गों के सम्मान की परंपरा रही है। बचपन में जब कभी बच्चों को अपने से बड़ों से कुछ ऊंची आवाज में बात करते देखा जाता था, तो यही नसीहत दी जाती थी कि उनसे सम्मान से पेश आओ। लेकिन आज के इस आधुनिक युग में स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि बुजुर्ग हमारे समाज में हाशिए पर जाने लगे हैं। उन्हें फालतू समझा जाने लगा है। ओल्ड एज होम्स की बढ़ती संख्या भी यही इशारा करती है कि समाज में बुजुर्गों की स्थिति अधिक अच्छी नहीं है।
हाल ही में ‘एजवेल फाउंडेशन’ नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा बुजुर्गों के लिए किया गया सर्वेक्षण भी यही जाहिर करता है। संगठन ने स्वयंसेवकों के राष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से जून के पहले हफ्ते में 5 हजार बुर्जुगों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। जिसे 15 जून, विश्व बुजुर्ग उत्पीड़न जागरूकता दिवस के 2 दिन पहले प्रकाशित गया। रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों से बातचीत करने पर पाया गया कि, उनमें से दो तिहाई से अधिक बुजुर्गों को परिवार के लोग, बच्चे , रिश्तेदार उन्हें झिड़कते हैं, उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उनका अपमान करते हैं। अधिकतर बुजुर्गों का कहना है कि उन्हें अपने ही अधिकारों की जानकारी नहीं है तथा उनसे जब बुरा बर्ताव किया जाने लगता है तो वे उसका विरोध नहीं करते हैं और प्रताड़नाएं सहने के बाद भी उसी घर में रहते हैं। यही कारण है कि बुजुर्गों के साथ बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार इसलिए भी होता है क्योंकि वृद्धों को परिवार के दूर चले जाने या उनका सहयोग न मिलने का डर सताता रहता है।
क्या है वृद्धों की ऐसी हालत के कारण
परिवार में वृद्धों की स्थित ख़राब होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें व्यक्तिगत मामले, आर्थिक मुद्दे, स्वास्थ्य समस्याएं, स्वास्थ्य समस्याएं, भावनात्मक समस्याएं शामिल हैं।
व्यक्तिगत मामले: बढ़ती उम्र के साथ कई लोगों में चिड़चिड़ापन आने लगता है जो परिवार के सदस्यों के बीच अनबन का कारण बनता है और इससे परेशानी पैदा होती है। इसमें कई बार परिवार वालों से उनके सम्बन्ध टूट जाते हैं। ऐसे मामलों में बुजुर्ग अपने आपको अकेला और परेशान महसूस करने लगते हैं।
आर्थिक मुद्दे: अधिकतर व्यक्तियों में बढ़ती उम्र के साथ-साथ कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण उनके रोजगार छूट जाते हैं और वे आर्थिक रूप से अपने परिवार वालों पर निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में आर्थिक समस्याएं भी बुजुर्गों को परेशान कर सकती हैं। इसमें व्यय का प्रबंधन, आर्थिक सहायता की कमी, पेंशन या नियमित आय की कमी शामिल हो सकती है।
स्वास्थ्य समस्याएं: बढ़ती उम्र के साथ शरीर अपने आप में ही कमजोर होती जाती है। जिसके उनमें स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इससे परिवार के सदस्यों पर उमके देखभाल की जिम्मेदारी आ जाती है। कई बार परिवार के लोगों को बुजुर्ग सदस्यों के लिए अलग से समय देना पड़ता है जो का किसी भी सदस्य पर बोझ बन सकता है और ऐसे मामलों में अन्य परिवार के सदस्य परेशानी महसूस कर सकते हैं।
भावनात्मक समस्याएं: कई बार परिवार के सदस्य वृद्ध व्यक्ति की भावनाओं को समझने में कष्ट अनुभव कर सकते हैं। जिसकी वजह से बुजुर्गों के अकेलापन, तनाव, मनोवैज्ञानिक समस्याएं, या उनकी भावनाओं और महसूस करने की क्षमता में कमी शामिल हो सकती है।
ऐसे में परिवार के बुजुर्गों को दूर करने से अच्छा है कि परिवार के सदस्यों को अपने घर के बड़े बुजुर्गों के साथ समय बिताना चाहिए ताकि वे खुदको अकेला महसूस करते हुए किसी तनाव में न जाए। जिससे वे शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहें। इसके साथ ही परिवार वालों को बुजुर्गों को तकनीकी कार्य जैसे स्मार्ट फ़ोन में ऑनलाइन मनी ट्रांसफर, गूगल मैप और सोशल मीडिया आदि सिखाना चाहिए साथ ही यह भी कहती हैं कि सरकार को उनके लिए रोजगार और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना भी करनी चाहिए।