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यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक पर जोर आजमाईश  शुरू 

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी दलों की नजर ब्राह्मण वोट बैंक पर टिकी हुई है। आज शायद ही कोई पार्टी ऐसी बची होगी जो ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूरी जी जान से न जुटी हो। ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने के लिए फिलहाल सबसे ज्यादा सक्रिय बहुजन समाजवादी पार्टी है।
बहुजन समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए ब्राह्मणों को अपनी और आकर्षित करने की रणनीति बनाई है। जिसमें बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद मिश्रा को बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगे किया हुआ है। बसपा ने ब्राह्मणों को अपनी ओर लाने के लिए ” प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी ” का आयोजन किया है ।
यह गोष्ठी प्रदेश के सभी 18 मंडलों में होगी। प्रदेश के सभी 75 जिलों में इस गोष्ठी का आयोजन कर सत्ता से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को अपने पाले में लाकर बहुजन समाजवादी पार्टी एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग फार्मूला अपनाना चाहती है। वर्ष 2007 में बहुजन समाजवादी पार्टी इसी सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर सत्ता में आई थी। तब ब्राह्मणों को 86 सीटों पर उम्मीदवार बनाया गया था। जिनमें से 41 ब्राह्मण बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे।
 ऐसा नहीं है कि बहुजन समाज पार्टी ही ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटी है बल्कि समाजवादी पार्टी भी उनसे इस मामले में दो कदम आगे है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने कई बड़े ब्राह्मण नेताओं को दूसरी पार्टियों से लाकर अपनी पार्टी में जॉइनिंग कराया।  तब से ही माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी अब ब्राह्मण फार्मूला को अपना रही है। बताया जा रहा है कि आगामी 22 अगस्त से समाजवादी पार्टी भी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन करने जा रही है।
 दरअसल,  ब्राह्मण के बारे में कहा जाता है कि वह सत्ता की लहर को समझकर वोट उधर ही देता है, जिधर की पार्टी सत्ता में आ सकती है।  शायद 2017 में भी वह सत्ता की इस लहर को समझ चुके थे । जिसके चलते अधिकतर ब्राह्मण वोट भाजपा की तरफ गया।
 हालांकि 2 साल पहले जब बिकरू कांड हुआ और विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ तो तब से अधिकतर ब्राह्मण भाजपा से नाराज बताए जा रहे है। उस दौरान विकास दुबे सहित 6 ब्राह्मणों के एनकाउंटर हुए थे। सभी पर अपराधिक कृत्यों में शामिल होने के आरोप लगे थे। इसके बाद योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मण आ गए।
 ब्राह्मण समाज के लोगों का कहना है कि उनके समाज के लोगों के ऊपर योगी सरकार में उत्पीड़न हो रहा है। सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप सबसे पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने लगाया। उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में 500 ब्राह्मणों की हत्या की गई। इसके बाद कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन भी इस मामले में आगे आए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में 100 ब्राह्मणों की हत्या हुई है। जबकि बहुजन समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर सतीश मिश्रा ने कहा कि यूपी में योगी सरकार के समय 400 ब्राह्मण की हत्या हुई।
 अगर सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो योगी सरकार ने अब तक 6200 एनकाउंटर किए हैं। जिनमें 139 लोगों को ढेर किया गया। इन सभी को अपराधी बताया गया। जो लोग ढेर हुए उनमें सबसे ज्यादा 45 अल्पसंख्यक समुदाय के थे। जबकि 11 ब्राह्मण थे। सरकार ने यह आंकड़ा 20 मार्च 2017 से 20 मार्च 2021 तक के बीच का दिया है।
 उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं । फिलहाल, इन पर सभी दल अपने अपने राजनीति एजेंडा चला रहे हैं। “तिलक – तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार”  कहने वाली बहुजन समाज पार्टी ने पहले राम नगरी अयोध्या से ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत की। उसके बाद अब एक अगस्त को कृष्ण नगरी वृंदावन में भी ब्राह्मण वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। हालांकि अभी देखना यह होगा कि बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर 2007 की तरह सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले की पुनरावृत्ति कर पाती है या नहीं?

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