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पिछले कुछ समय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन में है। इस दौरान ईडी ने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक कई विपक्षी दलों के नेताओं पर शिकंजा कसा है। इनमें कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर बंगाल में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, आम आदमी पार्टी के नेता सत्येन्द्र जैन से लेकर महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अनिल देशमुख, नवाब मलिक, शिवसेना सांसद संजय राउत जैसे विपक्षी दलों की लंबी फेहरिस्त है। खास बात यह है कि ईडी के निशाने पर केवल विपक्षी दलों से जुड़े नेता ही शामिल हैं। विपक्ष का आरोप है कि ऐसे मामले जहां भाजपा एनडीए के दलों के नेताओं का नाम सामने आया है। ईडी और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियां एक्शन मोड के बजाय लाइसेंस मोड में स्पष्ट नजर आ रही हैं

 

देश में इन दिनों एक ओर जहां संसद के दोनों सदनों में चल रहे मानसून सत्र में महंगाई, बेरोजगारी, अग्निपथ स्कीम सहित कई जनहित मुद्दों को लेकर हंगामा जारी है वहीं पिछले कुछ समय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन में है। इस दौरान ईडी ने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक कई विपक्षी दलों के नेताओं पर शिकंजा कसा है। इनमें नाम भी काफी बड़े-बड़े हैं, मसलन कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर बंगाल में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, आम आदमी पार्टी के नेता सत्येन्द्र जैन से लेकर महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अनिल देशमुख, नवाब मलिक, शिवसेना सांसद संजय राउत जैसे विपक्षी दलों की लंबी फेहरिस्त है। इस दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत पर ईडी ने शिकंजा कसा है।


इससे पहले ईडी ने संजय राउत के परिवार से संबंधित 11 करोड़ की प्रोपर्टी कुर्क कर दी थी। इसमें जमीन भी शामिल थी। पिछले हफ्ते संजय राउत के तीन ठीकानों पर करीब 9 घंटे छापेमारी चली थी। जिसमें ईडी ने साढ़े 11 लाख रुपए की नकदी जब्त की। ईडी का आरोप है कि संजय राउत पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे इसलिए उन्हें हिरासत में ले लिया गया। यह पूरी छानबीन पात्रा चॉल स्कैम को लेकर चल रही है जिसमें संजय राउत का परिवार भी आरोपी है।


क्या है पात्रा चाल स्कैम
साल 2007 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने चाल में रहने वाले परिवारों को स्थाई घर देने के लिए फ्लैट बनाकर देने की योजना शुरू की थी। यह काम गोरेगांव के सिद्धार्थ नगर में होना था। पात्रा चाल के रिडेवलपमेंट का काम गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था। म्हाडा की 47 एकड़ की जमीन में 672 घर बने हैं। कंपनी को साढ़े तीन हजार फ्लैट बनाकर देने थे। म्हाडा का प्लान था कि फ्लैट बनने के बाद जो जमीन बचेगी उसे बेच दिया जाएगा। हालांकि 14 साल के बाद भी कंपनी ने यहां फ्लैट नहीं बनाए। आरोप है कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी ने म्हाडा के साथ धोखाधड़ी की और बिना फ्लैट बनाए ही जमीन बिल्डरों को बेच दी। इससे उसे 901 करोड़ रुपए से ज्यादा का मुनाफा हुआ।


आरोप है कि कंपनी ने बाद में दूसरा प्रोजेक्ट शुरू किया और खरीदारों से 138 करोड़ रुपए जुटा लिए। कंपनी ने गलत तरीके से 1034 करोड़ रुपए की कमाई की और अपने सहयोगियों में राशि का बंटवारा किया। यह कंपनी एचडीआईएल की सिस्टर कंपनी है। प्रवीण राउत इसमें डायरेक्टर थे।


कैसे जुड़े संजय राउत से तार साल 2018 में म्हाडा ने गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ एफआईआर की और धोखाधड़ी का आरोप लगाया। यह मामला इकनॉमिक ऑफेंस विंग को दिया गया था। 2020 में प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया गया जिसे संजय राउत का करीबी बताया जाता है। प्रवीण राउत सारंग और राकेश वधावन के साथ कंपनी का डायरेक्टर था। वधावन भाई पीएमसी बैंक घोटाले के भी आरोपी हैं।

क्यों आया राउत की पत्नी का नाम
प्रवीण राउत की गिरफ्तारी के बाद सुजीत पाटकर नाम के शख्स के ठिकानों पर छापेमारी की गई। यहां मिले दस्तावेजों में पता चला कि प्रवीण राउत की पत्नी ने संजय राउत की पत्नी वर्षा को कर्ज दिया था। 55 लाख कर्ज लेकर वर्षा राउत ने दादर में फ्लैट खरीदा था। सुजीत पाटकर का लिंक भी संजय राउत से जुड़ गया। बताया जाता है कि वह भी संजय राउत का करीबी है और राउत की बेटी उसकी वाइन ट्रेडिंग कंपनी में पार्टनर हैं। इस तरह संजय राउत का परिवार ईडी के शिकंजे में फंस गया। इस समय ईडी के एक्शन की सबसे ज्यादा चर्चा बंगाल में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी पर हो रही है। ईडी की कार्रवाई में अर्पिता के घर से अब तक 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी मिल चुकी है। और हालात ऐसे हो गए हैं कि ममता बनर्जी को अपने बेहद करीबी पार्थ चटर्जी को न केवल मंत्री पद से हटाना पड़ा है बल्कि वह पार्टी से भी निलंबित हो गए हैं।


इसके अलावा ममता बनर्जी के लिए शारदा चिट फंड घोटाला भी समस्या बना हुआ है। साल 2013 में शारदा समूह के चिटफंड घोटाले के खुलासे ने बंगाल की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आ गए थे। और उसके बाद रोजवैली समेत कई समूहों के घोटाले सामने आए। राज्य सरकार की जांच टीम ने शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था। ईडी और सीबीआई पिछले 8 साल से इस केस की जांच कर रही हैं। इसी केस में ममता सरकार में तत्कालीन मंत्री मदन मित्र को गिरफ्तारी कर लिया गया था। इसके अलावा सांसद मुकुल रॉय को भी सीबीआई की पूछताछ का सामना करना पड़ा था। बाद में मुकुल रॉय भाजपा में शामिल हो गए, हालांकि अब फिर से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। तृणमूल कांग्रेस के कई नेता रडार पर हैं।


नेशनल हेराल्ड केस
नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की पूछताछ अब गांधी परिवार तक पहुंच चुकी है। ईडी पहले राहुल गांधी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ के बाद अब नेशनल हेराल्ड के दिल्ली, मुंबई और कोलकाता समेत कई संपत्तियों पर छापेमारी की जा रही है। मामला ‘यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की नई कंपनी और एजेएल को हुई डील का है। यंग इंडिया में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया था। नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर कर्ज दिया। और बाद में यंग इंडिया ने ‘एजेएल’ का अधिग्रहण कर लिया। जिसको लेकर मनी लॉन्ड्रिग का केस चल रहा है।


इसी तरह आईएनएक्स मीडिया केस में ईडी ने साल 2017 में पूर्व वित्त मंत्री पी . चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ केस दायर किया था। जांच एजेंसियों का दावा है कि वर्ष 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब उन्होंने पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया को मंज़ूरी दिलाई। इसके बाद कंपनी में कथित रूप से 305 करोड़ का विदेशी निवेश आया। मात्र 5 करोड़ के निवेश की अनुमति मिली थी लेकिन आईएनएक्स मीडिया में 300 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ। आरोप है कि इस डील में चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने रिश्वत ली थी।


जम्मू कश्मीर क्रिकेट घोटाला
नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और जम्मू- कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर भी ईडी ने पूरक आरोप पत्र दायर कर दिया है। मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में हुए घोटाले का है। इस मामले में फारुक अब्दुल्ला और दूसरे आरोपियों से कई बार पूछताछ हो चुकी है। मामला 2002 से लेकर 2012 के बीच का है। जिस वक्त घोटाला हुआ, उस वक्त फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस दौरान केंद्र सरकार ने जम्मू -कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के जरिए राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए 113 करोड़ रुपए का फंड मुहैया कराया गया था। लेकिन आरोप है कि उस फंड में बड़ी राशि का कहीं और इस्तेमाल किया गया।


हवाला केस
बीते जुलाई में ईडी ने आप नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी का मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई द्वारा 2017 की एफआईआर पर आधारित है। सीबीआई की शिकायत में कहा गया है कि जैन चार कंपनियों को मिले फंड के स्रोत के बारे में नहीं बता सके, जिसमें वह एक शेयरधारक थे। इस साल अप्रैल में ईडी ने सत्येंद्र जैन और उनके रिश्तेदारों से कथित रूप से जुड़ी कंपनियों की अचल संपत्तियों को अस्थाई रूप से कुर्क किया था।


दाउद संपत्ति का मामला
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ ईडी ने 5 हजार पेज की चार्जशीट दायर कर रखी है। यह मामला डॉन दाऊद इब्राहिम के परिवार से जमीन खरीदने से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिग एक्ट के तहत अदालत में आरोप पत्र पेश किया। मलिक को 23 फरवरी को ईडी ने गिरफ्तार किया था, फिलहाल वे मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं। मलिक पर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों हसीना पारकर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर मुंबई के कुर्ला में संपत्ति को हड़पने के लिए एक आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिग से जुड़े मामले में मलिक के खिलाफ भी जांच चल रही है।

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