देश की वर्तमान स्तिथि मंदी के दौर से गुजर रही है। पहले ऑटोमोबाइल , रियल एस्टेट, एविएशन, टेक्सटाइल के बाद अब देश का चाय उद्योग भी भारी मुश्किल में हैं। जिसका प्रभाव अब 170 साल पुराने असम के चाय उद्योग पर भी पड़ता दिख रहा है। चाय उत्पादन लागत बढ़ने और चाय की कीमतों में ठहराव से इस सेक्टर के लंबे समय तक फायदे में रहने पर सवाल खड़े होने लगे हैं। फिलहाल इस इंडस्ट्री के लिए कोई राहत की किरण नहीं दिखाई दे रही है।
असम के चाय बागान मालिक तनाव से गुजर रहे हैं और इसके लिए कई कारण हैं। चाय की कीमतें ठहरी हुई हैं, मजदूरी और अन्य लागत बढ़ती जा रही है, मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है, ढुलाई की लागत ऊंची है, नीलामी में सही कीमत न मिलने की चुनौती है और जलवायु परिवर्तन से भी समस्या खड़ी हो रही है।
चाय उत्पादकों में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। इस इंडस्ट्री में 12 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। और इस पर चाय बागान श्रमिकों के करीब 30 लाख परिजन भी इसी पर निर्भर हैं। कंसल्टेटिव कमिटी ऑफ प्लांटर्स एसोसिएशन (सीसीपीए ) के अनुसार, भारत में चाय उत्पादन वर्ष 2014 के 120.7 करोड़ किलोग्राम से बढ़कर साल 2018 में 133.90 करोड़ किलोग्राम तक पहुंच गया है।
असम में साल 2014 में चाय की औसत नीलामी कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम थी और अखिल भारतीय स्तर पर यह 130.90 रुपये प्रति किलोग्राम थी। साल 2018 में भी इसकी कीमत में बहुत ही मामूली सी बढत हुई और असम में प्रति किलोग्राम कीमत 156.43 किलोग्राम रही, जबकि पूरे भारत में 138.83 रुपये प्रति किलोग्राम रही है। दूसरी और साल 2018 में असम के चाय बागानों में श्रमिकों के वेतन में करीब 22 फीसदी की बढ़त हुई है। उत्पादन लागत उम्मीद से काफी ज्यादा बढ़ गई है।
टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव दिपांजोल डेका का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या उत्पादन लागत का काफी बढ़ जाना और उसकी वसूली न हो पाना है। ईंधन, कोयला, गैस, फर्टिलाइजर जैसे उत्पादन खर्चे बढ़ते जा रहे हैं। पिछले पांच साल में लागत की खास वसूली नहीं हो पा रही। दूसरी तरफ, नीलामी में शामिल होने वालों को इसे खरीदने और बेचने में कई तरह की दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।
गुवाहाटी टी बॉयर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश बिहानी ने भी कहा है कि पिछले दो-तीन साल से चाय उद्योग में चाय की कीमत को लेकर समस्या आ रही है। चाय का उत्पादन काफी बढ़ गया है, लेकिन मांग नहीं बढ़रही। लागत बढ़ गई है, लेकिन बिक्री दर में बदलाव नहीं आया है। इससे मुनाफे पर काफी चोट पड़ी है। देश के कुल चाय उत्पादन में असम की चाय का योगदान करीब 52 फीसदी होता है।लेकिन जिस तरह से इस उद्योग में सुस्ती है, उसकी वजह से निकट भविष्य में यह गंभीर समस्याओं में फसने की आशंका है।