दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की परीक्षा शाखा की ओर से शनिवार को मॉक टेस्ट का आयोजन किया गया। । इनमें से 67 हजार छात्रों ने शनिवार को परीक्षा दी। लेकिन 67 हजार छात्रों में से सिर्फ 28,967 छात्र ही परीक्षा पोर्टल पर उत्तरों को अपलोड कर पाए।
छात्रों की ओर से बताया गया कि वेबसाइट बार-बार क्रैश हो रही थी जिसके चलते पंजीकरण करने में काफी दिक्क्त हुई। साथ ही 5 एमबी से ज्यादा की फाइल अपलोड ही नहीं हो पा रही थी। जिसके कारण दिल्ली विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था आज चरमराई सी प्रतीत हो रही है।
ओबीई माॅक टैस्ट में शिक्षार्थियों को बहुत ही कठिनाइयों के मार्ग से गुजरना पड़ा। माॅक टैस्ट का अभ्यास प्रश्नपत्र डाॅउनलोड होने से पूर्व ही समय प्रारंभ हो गया और तीन घंटे में से दो घंटे बहुत ही आसानी से व्यतीत हो गये उसके उपरांत अन्य विषय का पेपर खुल कर छात्रों के सम्मुख प्रस्तुत हुआ।
कुछ बच्चों का ओटीपी कोड इतनी देर बाद आया कि वो सुचारू रूप से लाॅगइन भी नहीं कर पाए। यह सब शिक्षा व्यवस्था की ही असफलता की शाश्वत झलकियाँ है जो शिक्षार्थियों के मानसिक तनाव को बढावा दे रही है। ऑनलाइन परीक्षाओं में मूल्यांकन पद्धतियाँ भी मात्र औपचारिकता के मार्ग का ही अनुगमन करती है।
हालांकि, डीयू के मीडिया समन्वयक एवं कंप्यूटर सेंटर के निदेशक प्रो. संजीव सिंह ने बताया कि छात्र किसी भी तरह का तनाव न लें। मॉक टेस्ट परीक्षा से पहले अभ्यास की तरह है। छात्र 8 जुलाई तक मॉक टेस्ट दे सकते हैं।
मॉक टेस्ट आंकड़े
- कुल पंजीकरण कराने वाले छात्र – 53,362
- जिन छात्रों ने मॉक टेस्ट दिया – 33,823
- कुल डाउनलोड प्रश्न पत्र – 86,455
- कुल अपलोड उत्तर – 15,188
- दिव्यांग छात्रों द्वारा जमा कराए उत्तर – 197
- स्कूल ऑफ ओपन लर्निग के आंकड़े
- कुल पंजीकरण – 57,540
- मॉक टेस्ट – 33,215
- डाउनलोड प्रश्न पत्रों – 1,00,208
- अपलोड उत्तर – 13,779
- फिलहाल छात्रों में गुस्सा है और वह एक ही सवाल कर रहे हैं कि क्या ऐसे में ऑनलाइन एग्जाम करा पाना संभव है। तकनीक कभी भी मनुष्य की मौलिक विचारों को सार्थक रूप में मूल्यांकित नहीं कर सकता और न ही उसका स्थान ग्रहण कर सकता।