- वृन्दा यादव, प्रशिक्षु
नागालैंड के दीमापुर जिले में रेलवे स्टेशन से 16 मार्च को राज्य पुलिस ने प्रतिबंधित नशीले पदार्थ की खरीद -फरोख्त करने वाले व्यक्ति को 13 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपी का नाम बिजॉय देवनाथ बताया जा रहा है जो असम के होजाई जिले का रहने वाला है। पूर्वोत्तर भारत में यह घटना नई नहीं है। यहां इस तरह की घटनाएं अक्सर देखने और सुनने को मिलती है। दरअसल पूर्वोत्तर भारत का ही एक राज्य मणिपुर मादक पदार्थों का केंद्र या कहें अड्डा माना जाता है।
पूर्वोत्तर भारतः मणिपुर कैसे बना मादक पदार्थों का अड्डा?
भारत के पूर्व-उत्तर हिस्से में 8 राज्य हैं असम, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, और मणिपुर। इसके उत्तर में चीन एवं भूटान, पूर्व में म्यांमार तथा दक्षिण में बांग्लादेश की सीमाएं लगती हैं। पूर्वोत्तर भारत म्यांमार के साथ अपनी सीमा साझा करता है जो स्वर्ण त्रिभुज का हिस्सा है। यह त्रिभुज म्यांमार, लाओस और थाईलैंड के पहाड़ों का एक संयुक्त क्षेत्र है जो इन्हें एक साथ जोड़ता है। यह मार्ग नशीले पदार्थों को यूरोप और अमेरिका में पहुंचाने के लिए प्राचीन समय से ही प्रयोग में लाया जाता रहा है। दूसरा त्रिभुज जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान को जोड़ता है, उसे गोल्डन क्रिसेंट कहा जाता है। लगभग 1950 के आस-पास से ही गोल्डन क्रिसेंट के हिस्सों में ही अफीम की खेती की जाती थी और आज भी हो रही है। इन्हीं से प्रभावित होकर 1980 में स्वर्ण त्रिभुज एक नया अफीम उत्पादक क्षेत्र बनकर उभरा।
जिसके बाद 1983 में पूर्वोत्तर के ही एक राज्य मणिपुर में सबसे पहले नशीले पदार्थों (हेरोइन) का आगमन हुआ और कुछ ही वर्षों में काफी मात्रा में वहां के नागरिक भी इसका सेवन करने लगे। पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर और असम जैसे राज्यों में अफीम एवं गांजे जैसे नशीले पदार्थों की खेती होनी शुरू हो गई है और धीरे-धीरे यह भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्य में भी फैल इन मादक पदार्थो की तस्करी का केंद्र बन गया। दरअसल, भारत की सीमा म्यांमार से जुड़ी हुई है। म्यांमार अपने क्षेत्र में उत्पादित होने वाले मादक पदार्थों को पूर्वोत्तर भारत के रास्तों से ही अन्य देशों में पहुंचाने का कार्य करती है पहले यह पदार्थ म्यांमार के कई रास्तों से पूर्वोत्तर भारत में आतें हैं उसके बाद इन्हें यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में भेजा जाता है। जिसके कारण भारत का पूर्वो-उत्तरी भाग इन पदार्थों का केंद्र बन गया है। साथ ही साथ पूर्वोत्तर भारत के भी जिन इलाकों में इन पदार्थों की खेती होती है उन्हें इसी रास्ते से अन्य देशों तक पहुंचाया जाता है। मणिपुर से जुड़े हुए ऐसे कई मार्ग हैं जिनसे इन पदार्थों की तस्करी की जाती है। इनमें मांडले-तहांग-टिद्दीम- आइजोल-सिलचर, बेहियांग-सिहहट-चुराचंदपुर-इम्फाल, तमू- मोरेह-इम्फाल, आदि प्रमुख हैं।
नशीले पदार्थ : तस्करी और प्रभावों को दर्शाती हुई रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय मादक पदार्थों (नशीली दवाओं) के उत्पादन, खेती, नशीली दवाओं के उपयोग, और उनके व्यापार से संबन्धित, सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करती है। साथ ही यह विश्व में हो रहे अपराध और ड्रग्स ट्रैफिकिंग आदि का डाटा भी प्रस्तुत करती है।
इसकी ‘द वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट-2021’ के अनुसार ‘जनसंख्या में वृद्धि के कारण वर्ष 2010-2019 के बीच वैश्विक जनसंख्या में वृद्धि के कारण नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई।’ इसके अनुसार 2020 में दुनिया भर में लगभग 275 मिलियन लोगों ने नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया, जबकि 36 मिलियन से अधिक लोग नशीली दवाओं के उपयोग संबंधी विकारों से पीड़ित थे। दूसरा कारण कोविड महामारी है जिसके कारण काफी लोगों ने अपना रोजगार खो दिया और जिससे उन्हें आर्थिक गिरावट का सामना करना पड़ा और ऐसे ही कई कारणों की वजह से लोगों में मानसिक तनाव बढ़ा जिसके कारण भी मादक पदार्थों की मांग में तेजी आने की संभावना बताई गई है।
इन रिपोर्टों के अनुसार भारत के स्थान की बात करे तो लगभग हर रिपोर्ट में भारत का जिक्र करते हुए बताया गया है कि ‘भारत अवैध ड्रग व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक है। यहां ट्रामाडोल और मेथाफेटामाइन जैसे आधुनिक और भांग जैसे पुराने मादक पदार्थ मिल जाते हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया में दो प्रमुख अवैध अफीम उत्पादन क्षेत्रों के मध्य में स्थित है, पश्चिम में गोल्डन क्रीसेंट जिसने ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान शामिल हैं और पूर्व में स्वर्ण त्रिभुज जिसमें म्यांमार, लाओस और थाईलैंड शामिल है। वहीं अंतरराष्ट्रीय नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो की एक रिपोर्ट में सोशल मीडिया को भी इसके बढ़ते प्रयोग का कारण बताते हुए कहा गया है कि ‘सोशल मीडिया के इस्तेमाल और नशीले पदार्थों की लत के बीच संबंधों के पुख्ता सबूत मिले हैं, क्योंकि ये साइटें प्रतिबंधित पदार्थों की खरीदारी करने और
नकारात्मक व्यवहार को आकर्षक ढंग से पेश करने के लिए एक बड़ा मंच उपलब्ध कराती है।’