देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15वें राष्ट्रपति के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ले ली है। राष्ट्रपति पद के शपत लेने के साथ द्रौपती मुर्मू भारत की सबसे युवा राष्ट्रपति बन गई है। इस दौरान उन्होंने संबोधन किया और देश के सभी देशवासियों का विनम्रता के साथ अभिनंदन किया है। इसके साथ उन्होंने बताया कि वह देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति हैं जिनका जन्म आजाद भारत में हुआ है। उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बात करते हुए कहा है कि ‘मैं एक ऐसी जगह से आती हूं जहां शिक्षा प्राप्त करना भी सपने जैसा था’
इतना ही नहीं इसके साथ कहा है कि मैं देश के समस्त जनता की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूँ। आपकी आत्मीयता, आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत बनेंगे।
भारत के सर्वोच्च पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों,और विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका वोट भारत के करोड़ों नागरिक के विश्वास की अभिव्यक्ति है। देश के स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद भारत के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें देश के लिए तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा यह सबका प्रयास और सबका कर्तव्य है। ’
इससे आगे राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू ने कहा कि देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में राष्ट्रपति के रूप में मुझे चुना है जब हम देशवासी अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। तो कुछ दिन बाद ही भारत अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ये भी मेरे लिए एक संयोग है कि जब भारत अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज जब देश आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है। जो अपने आप में ऐतिहासिक समय है। देश अगले 25 वर्षों के नए विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, तो मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा सौभाग्य की बात है।
मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म भारत के आज़ादी के बाद हुआ है। मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था लेकिन अनेक रुकावटों के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मेने आगे की पढाई की, यहाँ तक मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी।
मैं आदिवासी समाज से हूँ, और वार्ड कौन्सिलर से लेकर देश की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारत की महानता ही है। ये भारत लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।
देश के राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना,मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्की ये देश के प्रत्येक गरीब नागरिक की उपलब्धि है। मेरा राष्ट्रपति के लिए चुना जाना इस बात का सबूत है कि देश में हर गरीब नागरिक सपने देख भी सकता है और उसे पूरा भी कर सकता है। इसके साथ अपने आदिवासी होने पर राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू ने कहा है कि मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो समाज सदियों से वंचित रहे, जो समाज विकास के लाभ से कोशो दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है,देश के करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है। ’