देश में इन दिनों एक ओर जहां पांच महत्वपूर्ण राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत गरमाई हुई है वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक का नाटक फिर शुरू हो गया है। दरअसल ,कर्नाटक के पूर्व सीएम और विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने दावा किया है कि भाजपा और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) के कुछ नेता उनके संपर्क में हैं, हालांकि उन्होंने अभी उन नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया। सिद्धारमैया ने कहा कि वे जल्द ही उनके नामों की घोषणा कर सकते हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि भाजपा और जेडी-एस के नेता जो कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें ही पार्टी नेतृत्व स्वीकार करेगी जो बिना किसी शर्त के पार्टी के प्रति अपनी वफादारी साबित करेंगे।
इससे पहले कर्नाटक मंत्रिमंडल में जल्द फेरबदल पर जोर देते हुए भाजपा के वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने दावा किया था कि अन्य पार्टियों से भगवा दल में शामिल हुए कुछ विधायक और मंत्री कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में हैं। ये नेता 2023 विधानसभा चुनाव के लिए कार्यक्रम घोषित होते ही एक बार फिर पार्टी बदलेंगे ।
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गौरतलब है कि राज्य में हुए 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे 104 सीटें मिली, कांग्रेस 79 तो जेडीएस (सेक्युलर) ने 38 सीटों पर जीत हासिल की थी। बहुमत न होते हुए भी राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दिया। 17 मई, 2018 को वे सीएम तो बन गए लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने के चलते मात्र दो दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। 23 मई को जद(से) और कांग्रेस ने वहां गठबंधन की सरकार बनाई जो मात्र 14 माह बाद 17 विधायकों के दलबदल चलते गिर गई। एक बार फिर से भाजपा को राज्य में सरकार बनाने का मौका इस दलबदल के चलते हासिल हो गया। तभी से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। येदियुरप्पा को इस वर्ष जुलाई में सीएम पद से हटा भाजपा आलाकमान ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना सबको हैरत में डालने का काम किया। बोम्मई अपने पूर्ववर्ती की भांति राजनीतिक पैतरेबाजी में खास माहिर नहीं है। नतीजा राज्य में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन के बीच जो हलचल चल रही है उसे भाजपा के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यदि इन अटकलों के चलते राज्य सरकार चली गई तो इसका राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।