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एक हफ्ते की ड्यूटी के बाद 14 दिन आईसोलेशन में भेजे जाते हैं डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ

एक हफ्ते की ड्यूटी के बाद 14 दिन आईसोलेशन भेजे जाते हैं डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ

कोरोना का कहर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। संक्रमितों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में डॉक्टर एक पैर पर खड़े होकर निस्वार्थ काम कर रहे हैं और इस खतरनाक महामारी से लोगों की जान बचा रहे हैं। 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात हैं। अपनी फैमिली अपने घर कई-कई दिनों तक नहीं जा पा रहे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना पॉजिटिव मरीज डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ के कठिन तपस्या के बदौलत ठीक हो रहे हैं। कोरोना वार्ड में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी दिन-रात मरीजों के लिए खड़े हैं। डॉक्टरों और सभी स्टाफों की दिन-रात कैसे गुजरती है। एक झलक आप देखें।

दिनभर में तीन शिफ्ट होती है। एक शिफ्ट में तीन डॉक्टर और तीन नर्सें होती हैं। इनकी लगातार आठ घंटे की ड्यूटी होती है। यह आठ घंटा डॉक्टरों और नर्सों के लिए आसान नहीं होती। इन आठ घंटों के दौरान वे कुछ भी खा-पी नहीं सकते। इतना ही नहीं इनमें से कोई भी टॉयलेट के लिए भी नहीं जा सकते। उन्हें लगातार मरीजों की देखभाल करनी होती है।

कोरोना वार्ड में जाने से पहले उन्हें पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्शन एक्युपमेंट) पहननी पड़ती है। जब एक बार पीपीई किट डॉक्टर, नर्स या अन्य हॉस्पिटल स्टार्फ़ ने पहन ली तो फिर कोई भी उसे ड्यूटी के दौरान खोल नहीं सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे संक्रमण से ग्रसित होने का खतरा बन जाता है। इसलिए 8 घंटे तक डॉक्टर और नर्सें पीपीई किट पहने ही रहती हैं। यही कारण है कि इस दौरान न वो कुछ खा सकते हैं और न ही टॉयलेट यूज़ कर सकते हैं। डॉक्टरों, पैरा मेडिकल स्टाफ के रहने के व्यवस्था अस्पताल में ही की जाती है।

कोरोना वार्ड में स्टाफ की ड्यूटी रोस्टर सात दिनों का होता है। सात दिन ड्यूटी देने के बाद डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ को 14 दिन के आईसोलेशन के लिए एकांत स्थान पर भेज जाता है। तब जाकर पूरे 21 दिन के बाद डॉक्टर, नर्सें और अन्य स्टाफ अपने परिवार से मिल पाते हैं।

इस बात की जानकारी टांडा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा भानु अवस्थी ने दी। उन्होंने कहा कि कोरोना वार्ड में ड्यूटी का रोस्टर सात दिन का होता है। सात दिन बाद स्टाफ को 14 दिन के क्वारंटीन पीरियड पर भेजा जाता है। 21 दिन बाद डॉक्टर, स्टाफ, नर्स अपने परिवार से मिल पाते हैं। आठ घंटे की ड्यूटी के दौरान पीपीई किट नहीं खोलने का नियम है। यह गाइडलाइंस स्वास्थ्य विभाग की हैं।”

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